डीएपी के बाद अब सुपौल जिले में यूरिया को ले मारामारी की स्थिति बन गयी है। पति के साथ-साथ दूर-दराज की महिलाएं भी चूल्हा-चौका छोड़ सुबह करीब 9 बजे ही खाद के लिए शहर की ओर निकल पड़ती हैं। साइकिल व बच्चे को साथ लेकर दिनभर भूखे प्यासे कतार में खड़ीं रहने के लिए मजबूर हैं।
शनिवार को सुपौल के गुदरी बाजार में खाद के लिए कतार में खड़ीं बलवा पुनर्वास की शकुंतला देवी ने बताया कि एक आधार कार्ड पर एक बोरी यूरिया खाद मिल रही है। पति-पत्नी सुबह से भूखे-प्यासे में लाइन में लगे हैं। बच्चों को पड़ोसी के जिम्मे छोड़कर आई हैं। खरैल पुनर्वास की शमसा ने बताया पति बाहर गए हैं। गेहूं पटवन लायक हो गया है। घर में ताला लगा खाद लेने आई हैं। ताकि समय से यूरिया खेतों में छिड़काव हो सके। सिसौनी की अमीषा खातून बताती हैं कि शौहर बाहर गये हैं। खेती और बच्चों की जिम्मेदारी उनपर ही है। इसलिए वे खुद अपने 13 साल के बेटे को साथ लेकर साइकिल से खाद लेने सुपौल आई हैं।
पिपरा के बथनाहा की कामिनी देवी जल्दी खाद मिलने की आस में सुपौल आ गईं। यहां सुबह 9 बजे से लाइन में लगी हैं। घर पर बच्चों को छोड़कर आई हैं। शाम तक उन्हें खाद मिलने का इंतजार है। यही हाल कदमपुरा की रेखा देवी और झरका के माला देवी का था। अधिकांश महिलाएं भूखे-प्यासे खाद के लिए लाइन में जद्दोजेहद करती दिखीं। कोई पड़ोसी को खाना बनाकर खिलाकर देखभाल करने की बात कहकर आई तो कोई अपने बेटे को साथ लेकर खाद लेने पहुंची थी।