उत्तर प्रदेश में इस बार विधान सभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार कुल 30 लाख 80 हजार रुपये अपने चुनाव प्रचार पर खर्च कर सकेंगे। पहले यह चुनाव खर्च सीमा 28 लाख रुपये थी मगर कुछ समय पहले हुए बिहार व बंगाल विधानसभा चुनाव में केन्द्रीय चुनाव आयोग ने यह खर्च सीमा 10 फीसदी बढ़ाकर 30.80 लाख रुपये कर दी।
आयोग के निर्देशों के अनुसार प्रत्याशियों को चुनाव सम्पन्न होने और परिणाम आने के तीस दिन के अन्दर एक तय प्रारूप पर अपने चुनाव खर्च का ब्योरा देना होता है। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में हुए विधान सभा चुनाव में मैदान में उतरे कई प्रत्याशियों ने अभी तक अपने चुनाव खर्च का ब्योरा नहीं दिया है।
कार्यालय ऐसे उम्मीदवारों का ब्योरा संकलित करवा कर केन्द्रीय चुनाव आयोग भेजने की तैयारी कर रहा है। इस ब्योरे पर विचार करने के बाद ऐसे डिफाल्टर उम्मीदवार वर्ष 2022 की शुरुआत में होने जा रहे विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए अपात्र भी घोषित किये जा सकते हैं। उधर, प्रदेश में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान को एक सप्ताह के लिए और बढ़ाया जा सकता है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह अभियान मंगलवार 30 नवम्बर को खत्म हो रहा है।
इसकी वजह यह है कि नवम्बर के इस महीने में कई पर्व व त्योहार पड़े इसलिए अभियान पर असर पड़ा। अगर एक सप्ताह और मोहलत मिल जाती है तो तमाम ऐसे लोग वोटर बन जाएंगे जो अभी तक किसी वजह से अपना पंजीकरण नहीं करवा पाए हैं। वैसे पांच जनवरी को वोटर लिस्ट का फाइनल ड्राफ्ट प्रकाशित होना है, फिलहाल इस तारीख में अभी किसी बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।