पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 16 नवंबर को आमजन के लिए शुरू हो जाएगा। सुल्तानपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इस एक्सप्रेस-वे के जरिए लखनऊ से गाजीपुर तक 340 किमी का सफर करीब 3.50 घंटे में पूरा हो जाएगा। सरकार को इस एक्सप्रेस-वे के जरिए टोल के रूप में 202 करोड़ रुपये सालाना मिलेंगे। फिलहाल 14 दिन यानी 30 नवंबर तक एक्सप्रेस-वे पर टोल टैक्स नहीं लगेगा। एक दिसंबर से उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की निर्धारित लगभग ढाई से तीन रुपये प्रति किलोमीटर की दर से टोल टैक्स देना होगा।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। सर्विस लेन निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। यह एक्सप्रेस-वे लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर एनएच 731 पर स्थित ग्राम चांदसराय से शुरू होकर उत्तर प्रदेश और बिहार सीमा से 18 किलोमीटर पूर्व हैदरिया के पास समाप्त हो रहा है। हालांकि, इसे अब सीधे बलिया तक फोरलेन से जोड़कर बिहार से जोड़ा जा रहा है।
इस नवनिर्मित एक्सप्रेस-वे पर फिलहाल रोजाना 15 से 20 हजार वाहन गुजरेंगे। यह तादाद धीमे-धीमे और बढ़ेगी। यूपीडा की कोशिश है कि पूर्वी यूपी व बिहार से आने वाले लोग दिल्ली नोएडा जाने के लिए इस एक्सप्रेस-वे के अलावा लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे व यमुना एक्सप्रेसवे का भी इस्तेमाल करें। इससे इस एक्सप्रेस-वे का अधिकतम उपयोग हो सकेगा। इसके साथ ही टोल के जरिए यूपीडा की आमदनी भी बढ़ेगी।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का रूट : मौजूदा समय में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के नौ जिलों से होकर गुजरेगा। बाद में इसका विस्तार बलिया तक कर दिया जाएगा। 340 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे प्रदेश की राजधानी लखनऊ से बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, आंबेडकर नगर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर को सीधे सिक्सलेन से जोड़ रहा है। यूपीडा के अधिशासी अभियंता एमके अनिल ने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पूर्ण रूप से आमजन के लिए तैयार है। शुरुआत में यात्रियों को कोई टोल टैक्स नहीं देना होगा। सभी लोग नियमों का पालन करते हुए इंटरचेंज से ही आना-जाना सुनिश्चित करें और सीमित गति से सुरक्षित यात्रा करें।
स्मार्ट क्लास में तब्दील होंगे 10 विद्यालय : पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे के कंपोजिट विद्यालय सुल्तानीपुर, गोकुलपुरा, रानीपुर, कुशमौर एवं कंपोजिट विद्यालय फत्तेहपुर आदि 10 कंपोजिट विद्यालयों का कायाकल्प किया जाएगा। ये विद्यालय पूरी तरह से स्मार्ट स्कूल के रूप में तब्दील हो जाएंगे। इसके लिए सभी प्रधानाचार्यों को ट्रेनिंग दे दी गई है। विद्यालयों के कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोजेक्टर भी लगाए जाएंगे।