ताड़ीघाट-बारा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का कार्य 2019 में पूरा हुआ लेकिन हाईवे के दोनों किनारे पौधे नहीं लगाए जा सके। जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक नवनिर्मित हाईवे के दोनों तरफ जितने पेड़ काटे गए और दोगुने पेड़ लगाने का प्रावधान है। पौधरोपण के लिए 2015 में दो करोड़ रुपये मिले थे लेकिन समय से यह कार्य नहीं होने से धनराशि लौट गइ थी। 2019 में पौधरोपण के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया जिसे मंजूरी नहीं मिली। वन विभाग की मानें तो प्रस्ताव मंजूर होने और एनएच की सहमति के बाद ही सड़क के किनारे पौधे लगाए जाएंगे।
राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होने के बाद पिछले तीन वर्ष से वाहनों का आवागमन बढ़ा है जिससे क्षेत्र में प्रदूषण भी बढ़ा है। लोगों की शिकायत है कि फसलों और आसपास के पेड़ों की पत्तियों पर धूल जमने से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और पौधे कमजोर हो रहे हैं। जाड़े में धूल के कण और हवा प्रदूषित होने से सांस लेने में भी तकलीफ होती है। वन विभाग का कहना है कि साल 2015 में शासन से दो करोड़ रुपये मिले थे। समय से इस्तेमाल न होने से यह धनराशि लौट गई थी। नए प्रस्ताव पर मंजूरी मिलते ही काम पौधरोपण शुरू कराया जाएगा।
वर्ष 2016 में बिहार को जोड़ने वाली इस सड़क के चौड़ीकरण और सीसी के लिए 245 करोड़ का बजट मंजूर हुआ था। इसका कार्य 2019 जून तक पूरा करा लिया गया। टीबी रोड के चौड़ीकरण के दौरान मार्ग के दोनों तरफ 20-20 फीट के दायरे में पेड़ों को काटा गया था। वन विभाग की मानें तो 1675 पेड़ काटे गए थे।
ताड़ीघाट-बारा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के बाद काटे गये पेड़ों की जगह दोगुनी संख्या में आम, जामुन, बेल, पीपल, पाकड़, बरगद, अर्जुन, गूलर, नीम के पौधे लगाए जाने थे लेकिन यह कार्य नहीं हो पाया।
एक टिप्पणी भेजें