पर्यावरण प्रदूषण का व्यापक असर वाराणसी शहर में नजर आने लगा है।वायुमंडल में कार्बन, नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने की वजह से आंखों व सांस रोगियों के लिए हवाएं घातक हो चलीं हैं। शिवपुर, बाबतपुर, सामनेघाट में स्माग का असर दिखने लगा है।
वायुमंडल में बढ़ती धूल, धुआं, कार्बन व नाइट्रोजन के सांद्रण (जमा होना) से बनारस शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) सोमवार को रेड जोन में पहुंच गया। यहां एक्यूआइ अधिकतम 349 रिकार्ड की गई। सर्वाधिक प्रदूषित जगह मलदहिया रहा जहां वायु गुणवत्ता 358 तक पहुंच गई। पर्यावरण विज्ञानियों ने इस वायु को बच्चों, बुर्जुगों, दमा रोगियों के अलावा युवाओं के लिए खतरा बताया है।
बनारस में दीपावली के दिन से ही वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई है और खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। पहले तो पटाखों के चलते प्रदूषण काफी खराब स्थिति में पहुंच गया था लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में पुआल जलाने, शहरी क्षेत्र के किनारे वाले हिस्से में कूड़ा जलाने और धुंआधार हो रहे निर्माण के चलते वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक भेलूपुर में सोमवार को वायु की गुणवत्ता 348, बीएचयू में 322 और अर्दली बाजार में 322 रिकार्ड की गई। उधर, बढ़ती ठंड के बीच कोहरे ने भी वायु की गुणवत्ता के साथ ही दृश्यता पर असर डाला है। वायु गुणवत्ता प्रभावित होने पर डाक्टरों ने बुजुर्गों को घरों में रहने की सलाह दी है क्योंकि इस धुंध का असर सांस के मरीजों पर ज्यादा पड़ सकता है। उधर, शिवपुर, बाबतपुर, सामनेघाट इलाके में स्माग का ज्यादा असर दिखा और दृश्यता प्रभावित रही।
हवा हुई जहरीली:
एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को पार कर गया है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डा.कालिका सिंह ने लोगों से अपील की है कि लोग जहां भी निर्माण करा रहे हैं वहां धूल को उन उड़ने दें। निर्माण स्थल पर हरा मैट लगाने के साथ ही पानी का छिड़काव कराते रहें। उन्होंने बताया कि शून्य से 50 के बीच के एक्यूआइ को अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 के बीच को मध्यम, 201 से 300 के बीच को खराब, 301 से 400 के बीच को बहुत खराब और 401 से 500 के बीच को गंभीर श्रेणी में माना जाता है। उधर, धूल-धुआं को देखते हुए नगर निगम व जल-कल ने सोमवार को कई क्षेत्रों में पानी का छिड़काव कराया।
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