आसमान छू रहे सब्जियों के दाम ने किचन का बजट बिगाड़ दिया है। आम आदमी की थाली से तरकारी दूर होती जा रही है। डीजल-पेट्रोल की तरह सब्जियों के दाम भी आएदिन बढ़ रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि बरसात के बाद सब्जियों के दाम में कुछ गिरावट आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले दो महीने में सब्जियों के दामों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। सब्जियों के बेतहाशा दाम बढ़े होने से आमजन बहुत परेशान हैं। पूर्वांचल में अभी सर्दी की सब्जियां बाढ़ और बारिश की वजह से लेट हो गई हैं।
बोले सब्जी विक्रेता सुनील कुमार ने बताया कि थोक मंडी में ही सब्जी महंगी बिक रही है। सब्जी खरीदने से पहले लोगों को सोचना पड़ता है। ठेले पर फेरी लगाकर सब्जी बेचकर इस समय बामुश्किल परिवार के लिए आजीविका कमा पाता हूं।
सब्जी विक्रेता अदालत सोनकर कहते हैं कि इस समय बाजार में ज्यादातर सब्जियों की आपूर्ति बाहरी मंडियों से हो रही है। मौसम में बदलाव, परिवहन में अधिक खर्च और मंडी शुल्क समेत कई अन्य खर्चे बढ़ जाने का असर सब्जियों के दाम पर पड़ा है। इस कारणवश सब्जियों के दाम में भारी उछाल है।
बोली गृहणियां
गृहिणी किरन राय कहती हैं कि सब्जियों के दाम में भारी बढ़ोतरी ने घर का पूरा बजट बिगाड़ दिया है। अगर सब्जियों के दाम इसी तरह आसमान छूते रहे तो हम लोगो के लिए घर चलाना मुश्किल हो जाएगा। गृहिणी श्वेता मोदनवाल कहती हैं कि दुकानदारों द्वारा मनमाने भाव वसूलने पर प्रशासन का किसी तरह कोई शिकंजा नहीं होने से भी महंगाई बढ़ रही है। मध्यमवर्गीय और उससे निचले स्तर के परिवारों की अर्थव्यवस्था चरामई हुई है।
सब्जी दाम प्रति किलो
आलू 20, प्याज 50 से 60, बैंगन 40 से 50, करेला 50, गोभी 60, टमाटर 60, लौकी 30, पालक 50 से 70, भिंडी 40, हरी मिर्च 60, शिमला मिर्च 100 से 120, हरी धनिया 200 से 300 रुपए किलो है।