प्रदेश सरकार अस्पतालों में सभी आवश्यक सुविधाएं मुफ्त देने का दावा करती हैं, लेकिन हकीकत इससे परे है। सेवराई तहसील क्षेत्र के लोगों को कई सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। स्थिति यह है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा समेत सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में टिटनेस टाक्साइड इंजेक्शन खत्म हो गया है। दुर्घटनाओं में घायल लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इससे बेखबर हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा में पिछले एक माह से टिटनेस का इंजेक्शन नहीं है, जबकि यह एक सामान्य इंजेक्शन है। जिसकी हमेशा जरूरत होती है। ऐसे में चिकित्सक इमरजेंसी में बाहर से टिटनेस का इंजेक्शन खरीदवाकर स्वजनों से मंगवाते हैं और मरीज को लगाते हैं। पीएचसी बारा, गहमर, देवल, दिलदारनगर में सुविधाएं उपलब्ध न होने से दुर्घटनाओं का शिकार मरीजों को सीएचसी भदौरा भेजा जाता है। ऐसे में इन मरीजों को टिटनेस का इंजेक्शन लगाया जाना आवश्यक होता है, लेकिन इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है।
टिटनेस इंजेक्शन का महत्व चिकित्सक बताते हैं कि पहले यह इंजेक्शन लोहे अथवा किसी भी जंग लगे वस्तु से त्वचा के छिलने या कट जाने पर लगाई जाती थी, लेकिन बाद में मेडिकल साइंस की ओर से सभी चोट एवं शल्य चिकित्सा (सर्जरी) पर लगाए जाने का निर्देश दिया गया है। मुख्यत: इस इंजेक्शन को दुर्घटना में घायल होने एवं किसी भी आपरेशन से पहले संबंधित मरीज को लगाया जाता है। इसके अलावा टीकाकरण से पूर्व गर्भवती महिला व बच्चों को भी टिटनेस का इंजेक्शन लगाया जाता है।
लाइलाज बीमारी है टिटनेस टिटनेस के खतरनाक वायरस से लोगों को बचाने के लिए यह इंजेक्शन एहतियात के लिए लगाई जाती है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इसके शरीर में प्रभावी होने पर मरीज के शरीर, गले व सिर की मांशपेशियों में अकड़न होने लगती है। उसका शरीर अचेत भी हो जाता है। इस वायरस के पूरी तरह सक्रिय होने पर मरीज की परेशानी बढ़ जाती है और उसकी मौत तक हो जाती है। दवाओं का अभाव पिछले एक माह से टिटनेस का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा पैरासिटामाल व एंटीबायोटिक दवाओं का भी टोटा है। इंजेक्शन व दवाएं जिले से आती हैं।