गंगा का जलस्तर फिर से बढ़ने लगा है। इसके बढ़ने से तटवर्तियों की धुकधुकी बढ़ गई है। दो सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। तीसरे पहर तीन बजे तक गंगा का जलस्तर 57.360 मीटर रिकार्ड किया गया। जलस्तर बढ़ने से किसानों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। हालांकि गंगा खतरे के निशान 61.105 से काफी नीचे है।
पिछले दो माह से गंगा का जलस्तर बढ़ने व घटने का सिलसिला बना हुआ है। अगस्त में गंगा का जलस्तर बढ़ा फिर कम हो गया उसके बाद फिर से जलस्तर बढ़ने का सिलसिला चालू हो गया। यह तीसरा मौका है जब गंगा का जलस्तर फिर से बढ़ रहा है। इसके बढ़ने से तटवर्ती इलाकों के किसानों की बची हुई फसलें बर्बाद होने का खतरा बढ़ गया है।
पटना के नागेंद्र मांझी और प्रदुम निषाद बताते हैं कि गंगा नदी में दो दिनों में करीब दो फीट गहराई बढ़ी है। रात में किनारों पर बंधे नौका और धोबी पाट सुबह तक डूब जा रहे हैं। छठ पूजा के लिए घाटों की सफाई कर रहे श्रद्धालुओं की मेहनत व्यर्थ हो रही है। चक्रवाती तूफान की वजह से हाल के दिनों में हुए बरसात और बाढ़ से उबर कर लोग नदियों किनारे सब्जियों के साथ अन्य खेती कार्य मछली उद्योग शुरू कर दिए थे।
गंगा की सहायक नदी गोमती के जलस्तर में कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है। पटना, शादिभादि, औड़िहार, गोपालपुर, कुसही में लोग छठ पूजन के लिए घाटों की तैयारी में लग गए थे। जानकारों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और बरसात से गंगा के जलस्तर में वृद्धि हुई है।