किसानों को अब अपने खेतों में पराली जलाना भारी पड़ सकता है। किसानों पर एफआईआर का प्रविधान पहले से है। अब पराली जलाने पर सेटेलाइट से भी नजर रखी जा रही है। वायु प्रदूषण पर रोक लगाने को शासन सख्त है। कहीं भी पराली जली तो सेटेलाइट से तस्वीरें जिला प्रशासन को लोकेशन के साथ मिल जाएंगी। जांच के बाद कार्रवाई तय की जाएगी। धान की कटाई शुरू होते ही कृषि विभाग अलर्ट हो गया है। राज्य मुख्यालय जिले के हर कोने की निगरानी में जुटा है। लखनऊ कंट्रोल रूम में पराली जलने की तस्वीरें सेटेलाइट से कैद की जाएंगी। मॉनिटरिग कृषि विभाग लखनऊ कर रहा है।
वसूला जाएगा जुर्माना, होगी कड़ी कार्रवाई पराली जलाने की घटना की तस्दीक होने पर 2500 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा। दो से पांच एकड़ रकबे के लिए पांच हजार और पांच एकड़ से अधिक रकबे के लिए 15 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। कृषि विभाग व विकास खण्ड के कर्मचारियों व लेखपाल को पराली जलाने की घटना से अवगत करवाया जा सकता है।
इस तरह खत्म कर सकते कृषि अपशिष्ट
कृषि विभाग की ओर से डी-कंपोजर से भी पराली नष्ट करने की विधि बतायी गई है। एक शीशी से बने डी-कंपोजर के घोल से एक एकड़ खेत की पराली को सड़ाया जा सकता है। धान की कटाई के बाद खेत में पड़े पराली में सिचाई कर देने एवं सिचाई के दौरान 25 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर देने से भी पराली सड़ कर खाद बन जाएगा। इसके बाद गेहूं की बोआई करने पर प्रति एकड़ 1.5 से 2 क्विटल उपज में बढ़ोतरी होगी।
कोट
सभी किसानों से पराली नहीं जलाने के लिए अपील किया गया है। कंबाइन हार्वेस्टर संचालकों से भी कहा गया है कि बिना सुपर पुआल प्रबंधन प्रणाली (एसएमएस) लगे कंबाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई न करें। सुपर एसएमएस वाले कंबाइन हार्वेस्टर पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देते हैं। किसानों को पुआल को जलाने की जरूरत नहीं होती है।