द्वाबा के सुरेमनपुर दीयरांचल में गोपालनगर टाड़ी गांव में सरयू किनारे बसे लोग कल तक स़ुकून में थे। गांव में बच्चे खेल रहे थे। बुजुर्ग सुबह में अपने दरवाजे पर टहल रहे थे। नदी किनारे की स्वच्छ हवा उन्हें हर दिन ताजगी का अहसास कराती थी, लेकिन अचानक मंगलवार से सरयू ने तेवर तल्ख कर लिया। कटान में घर गिरने लगे। पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। पहले दिन 25, दूसरे दिन 15 और तीसरे दिन गुरुवार को 15 मकान नदी में समाहित हो गए। अब लोग जहां-तहां आश्रय लिए हैं।
तहसील प्रशासन के लोग मौके पर पहुंच रहे हैं लेकिन आश्वासन के अलावा और कुछ भी नहीं दे रहे हैं। गांव के लोगों ने बताया कि तहसील प्रशासन प्रयास करता तो कटान रोकने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते थे, लेकिन प्रशासनिक लोग सभी को उनके हाल पर छोड़ दिए हैं। बेघर हुए लोगों की गांव के लोग ही मदद कर रहे हैं। कोई भोजन का इंतजाम कर रहा है तो कोई रहने की व्यवस्था कर रहा है। कई लोग कटान के मुहाने पर खड़े मकानों से लोगों को सामान निकालने में भी मदद कर रहे हैं।
सुरक्षात्मक उपाय के लिए करते रहे फरियाद
पिछले साल जून से ही लगातार कटान जारी है। पहले किसानों की जमीन गई, उसके बाद अब उनका मकान भी नदी में समाने लगा। गांव के अजित यादव, गणेश यादव, वशिष्ठ यादव, संजय यादव, मुनि यादव, भोला यादव आदि ने बताया कि पिछले तीन दिनों से सरयू गोपालनगर टाड़ी के सामने तेजी से कटान कर रही है। सिचाई विभाग ने सही तरीके से यहां नदी के हालात का आकलन नहीं किया। किसानों की हजारों एकड़ भूमि भी नदी में समाहित हो गई। जनप्रतिनिधि भी इस गांव को लेकर गंभीर नहीं हुए। ग्रामीणों ने कई बार जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, उप जिलाधिकारी, सिचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता को कटान की स्थिति अवगत कराया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसका नतीजा आज सभी के सामने हैं। अब टाड़ी गांव का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। 55 घर गिरने के बाद अब कटान के मुहाने पर लगभग 50 घर बचे हैं।
कोट
गोपाल नगर टाढ़ी पर मकान सरयू नदी में विलीन हो चुके हैं। सैकड़ों एकड़ भूमि पहले ही नदी में समा चुकी है। कटान काफी तेज है। जिनके मकान सरयू नदी में विलीन हो चुके हैं उन्हें नियमानुसार सरकारी सहायता प्रदान करने की कार्रवाई की जा रही है।