भले ही रेलवे पटना- डीडीयू के बीच चलने वाली पांच जोड़ी मेमो पैसेंजर ट्रेनों से यात्रियों से एक्सप्रेस का किराया वसूल रहा है, लेकिन सुविधाएं कुछ नहीं हैं। ऐसे में रेलवे द्वारा यात्रियों को बेहतर सेवा देने का वादा पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है। पैसेंजर ट्रेन में रेलवे द्वारा यात्रियों के लिए शौचालय की सुविधा बोगियों में उपलब्ध तो कराई गई है लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कारण शौचालय के गेट को रेलवे द्वारा वेल्डिंग कर बंद कर दिया गया है। इससे यात्रियों को परेशानी होती है।
पटना से पीडीडीयू जंक्शन की दूरी 212 किलोमीटर है। इसे तय करने में पैसेंजर ट्रेनों को छह से आठ घंटे लग जाते हैं।ऐसे में इन गाड़ियों में सफर कर रहे यात्रियों को शौच के लिए ट्रेन के किसी स्टेशन पर शंट होने का इंतजार करना पड़ता है। रेलवे का ध्यान इन समस्याओं की ओर नहीं जा रहा है। रेलवे यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी का हवाला देकर लगातार किराए में इजाफा कर रहा है। इस रूट पर पटना और बक्सर से वाराणसी, पीडीडीयू के बीच मेमो पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता है। यात्री शौचालय बंद होने से यात्रा के समय अपने को असहज महसूस करते हैं।
अटकी रहती हैं सांसें
पटना से पीडीडीयू की दूरी तय करने में पैसेंजर ट्रेनों को छह से आठ घंटे तक का समय लग जाता है। ट्रेनों में शौचालय बंद होने से यात्री चाहकर भी ट्रेनों से शौच क्रिया करने के लिए नहीं उतर पाते हैं। इन ट्रेनों में सफर कर बुर्जग व महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। इसकी शिकायत कई बार रेलवे के उच्चाधिकारियों से की गई लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
दो मिनट का है ठहराव
पटना-डीडीयू के बीच चलने वाली मेमो पैसेंजर ट्रेन का ठहराव स्टेशनों पर महज दो मिनट का है। ऐसे में शौच लगने पर ट्रेन से प्लेटफार्म पर शौच के लिए उतरना किसी खतरे से खाली नहीं है।
यात्रियों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता की कमी होती है
पैसेंजर ट्रेनों के शौचालयों में रेलवे द्वारा इसलिए लाक किया गया है कि इसमें यात्रा करने वाले यात्रियों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता की कमी होती है और गंदगी फैला देते हैं। एक यात्री के कारण पूरे यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। अन्य मंडलों में भी यही व्यवस्था है।