शुक्रवार की सुबह से शुरू हुई बारिश पूरी रात के बाद दूसरे दिन तक बदस्तूर रही। मूसलधार बारिश के सरयू दी फिर से उफना गई तो पहले से डूबे कई रिहाइशी इलाके में जलजमाव का स्तर और बढ़ा गया। मेंहनगर में कच्चा मकान गिरने से पिता-पुत्र की मौत हो गई। बिजली गुल होने से जिले में ब्लैक आउट की स्थित बन गई है। किसानों के माथे पर गन्ना, अरहर, अगैती धान व सब्जी की खेती बर्बाद होने से पसीना उभर आया है। एक पखवाड़े पूर्व अतिवृष्टि से बड़ी बर्बादी लोग झेलकर उबर भी नहीं पाए थे कि फिर से बारिश विपत्ति बनकर टूट पड़ी।
मौसम ने करवट लेना तो शुक्रवार की सुबह शुरू कर दिया था। उसके बाद रिमझिम बारिश शुरू हुई तो धीरे-धीरे कहर बरपाने वाला रुख ले लिया। दिन के बाद पूरी रात बारिश होने के कारण सरयू नदी में उफान आ गया। किसानों की गन्ना, अरहर, अगैती धान की तैयार फसल पानी के डूबकर बर्बाद हो गई है। सब्जियों की फसल पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पशुओं के चारे के इंतजाम करना कठिन हो रहा है। तेज हवा के चलते किसानों को धान की फसल गिरने का डर सता रहा है ।
वहीं देखा देखा जाए तो अगैती धान की फसल खेतों में तैयार है। खेतों में पानी लगने धान गिर गया है। यदि किसान धान की फसल काट भी लेता है तो उसको रखने की व्यवस्था भी नहीं है। वर्तमान समय मे धान की सामान्य फसल में भी बालियां निकल रही हैं। ऐसी दशा में फसल गिरकर बर्बाद होने की चिंता बढ़ गई है। तमसा, मंजूषा, कुंवर नदियां उफान पर हैं। गांव से लेकर शहर तक पानी ही नजर आ रहा है। स्कूल कालेज में बच्चों की उपस्थिति भी कम है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी एवं लालबहादुर शास्त्री जयंती के प्रोग्राम पर भी असर पड़ा है।
मेंहनगर संवाददाता के मुताबिक शनिवार सुबह करीब साढ़े चार बजे भिटकासों गांव में कच्चा मकान गिरने से मृतक 60 वर्षीय जयप्रकाश पाण्डेय उनका पुत्र विकास पांडेय की मलबे में दबकर मौत हो गई। उपजिलाधिकारी प्रियंका प्रियदर्शिनी व इंस्पेक्टर मनोज कुमार पांडेय मौके पर पहुंचे थे। गोसाईं की बाजार संवाददाता के मुताबिक लालगंज बेसो नदी का जलस्तर बढ़ने से सैकड़ों एकड़ धान की फसल डूब गई है। लगातार बारिश के कारण माहुल क्षेत्र की तमाम गड्ढा युक्त सड़कों व गांव के विभिन्न संपर्क मार्गो पर पानी भर गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिले की मुख्य खेती लाल मिर्च के उप्पादन पर संकट गहरा गया है। बच्चों के स्कूल न पहुंच पाने के कारण गांधी जयंती व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का कार्यक्रम भी सीमित दायरे में होने की संभावना है।