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गाजीपुर जिला अस्पताल में बच्चों के लिए 60 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड तैयार

गाजीपुर जिला अस्पताल में बच्चों के लिए 60 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए शासन ने यहां पर नई एवं आधुनिक तकनीक के यंत्र उपलब्ध कराएं हैं। यह जानकारी बाल रोग विशेषज्ञ एवं नोडल अधिकारी पीडियाट्रिक वार्ड डा. सुजीत कुमार मिश्रा ने दी।

डा. सुजीत ने बताया कि जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में 67 वेंटिलटर, 20 हाई डिफेंडसी यूनिट वार्ड, जिसमे छोटा वेंटीलेटर लगा है। इसके साथ ही 20 आइसोलेशन वार्ड में सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई के साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि वार्ड के 67 वेंटिलेटर कार्य कर रहे हैं। 

वेंटिलेटर की जरूरत मरीज को तब पड़ती है, जब वह खुद से सांस नहीं ले पाता है। इसके अलावा 10 एचडीयू वार्ड में प्रेशर वाई पैक मशीन भी लगायी गयी है, जो मरीजों को प्रेशर से ऑक्सीजन देता है। उन्होंने बताया कि इस मशीन की जरूरत मरीज को तब होती है, जब वह पूरी तरह से सांस नहीं ले पाता या फिर रुक-रुक कर लेता है। 

इससे मरीज नाक और मुंह दोनों से ऑक्सीजन लेता है। उन्होंने बताया कि इस वार्ड में छह छोटे वेंटिलेटर भी लगे हैं, जिसके माध्यम से मरीज को नाक के जरिए ऑक्सीजन दिया जाता है। इसके साथ ही 125 ऑक्सीज़न कंसंट्रेटर भी लगाए गए हैं, जो 1 से 10 लीटर तक ऑक्सीजन देता है। इसकी मरीजों की जरूरत तब पड़ती है, जब उनका ऑक्सीजन लेवल 85 से 92 प्रतिशत पर आ जाता है।

इसके अलावा दो एसिड ब्लड गैस मशीन (एबिजी) भी लगाई गई है, जो ब्लड में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड का लेबल बताता है। उन्होंने बताया कि इस वार्ड में आठ वार्मर लगाए गए हैं, जिनका प्रयोग कम वजन के बच्चों के बेड को गर्म करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही 60 सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई बेड के साथ लगाया गया है ताकि मरीज को ऑक्सीजन की किसी भी तरह की दिक्कत न हो। 

इस पूरे वार्ड की देख-रेख के लिए जिला अस्पताल में तीन बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती भी हैं, जिसमें खुद डा. सुजीत कुमार मिश्र, डा. तनवीर अफरोज व मेडिकल कालेज की नई चिकित्सक डा. आस्था भट्ट भी शामिल हैं। डा. सुजीत ने बताया कि शासन द्वारा कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर का ज्यादा असर बच्चों पर होने का अंदेशा था, उसको लेकर यह सारी मशीनें जिला अस्पताल को उपलब्ध कराई गई थीं। 

इसके चलते जिला अस्पताल का यह वार्ड हाईटेक हो गया है। यदि शासन के द्वारा सभी मशीनों को सुचारू रूप से चलाने के लिए पैरामेडिकल स्टाफ या मानव संपदा उपलब्ध कराया जाता है तो भविष्य में जनपद के जो भी बाल रोग मरीज आईसीयू के होंगे, जिन्हें मौजूदा समय में वाराणसी रेफर किया जाता है।

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