अबकी बार धान खरीद में शासन ने डिफाल्टर एजेंसियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उत्तर प्रदेश स्तर पर तीन क्रय एजेंसी व्यापक पैमाने पर खरीद करती थी लेकिन कृषकों के भुगतान और खरीद में काफी लापरवाही बरतती थी। कृषक हाय तौबा करके थक जाते थे लेकिन समय पर उनका भुगतान नहीं होता था। शासन ने इसका संज्ञान लिया और एनसीसीएफ, यूपी एग्रो व नेफेड को खरीद से बाहर कर दिया है।
अब तक ये एजेसियां जिलों में एक तिहाई से ज्यादा क्रय केंद्रों पर खरीद करती रही हैं। चंदौली जिले की ही बात करें तो यहां 65 क्रय केंद्रों में 26 केंद्र इन्हीं के होते थे। प्रत्येक ब्लाक के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इनका कब्जा था। शुरूआती दौर में तो इनकी खरीद और भुगतान की स्थिति ठीक रहती है लेकिन उसके बाद किसानों को तमाम दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। धान खरीद के वक्त किसानों के एक क्विंटल धान में नमी बताकर दस से 15 किलो की कटौती का आरोप लगता है। वहीं भुगतान के वक्त किसानों को अधिकारियों के यहां चक्कर लगाना पड़ता है।
खरीद के अंतिम दौर में किसानों की आन लाइन बिक्री भी यह पोर्टल पर अपलोड नहीं करती जिससे किसान अपना धान बेचकर भी पैसा लेने के लिए दर-दर भटकता था। दो साल से इन एजेंसियों का यही हाल रहा है। हालांकि जिला स्तर पर अधिकारियों के दवाब और शासन के रहमोकरम पर किसानों के लिए पोर्टल खुलता है और भुगतान भी होता है लेकिन किसान यह आस छोड़ देते हैं कि उनका बेचे गए धान भुगतान अब नहीं होगा। शासन स्तर पर लगातार जा रही शिकायतों के मद्देनजर इनकी बिक्री पर ही रोक लगा दी है।
यूपी एग्रो, एनसीसीएफ और नेफेड क्रय एजेंसियां प्रदेश भर में इस बार धान की खरीद नहीं कर सकेंगी
यूपी एग्रो, एनसीसीएफ और नेफेड क्रय एजेंसियां प्रदेश भर में इस बार धान की खरीद नहीं कर सकेंगी। खरीद व भुगतान की लगातार हो रही शिकायतों पर शासन ने संज्ञान लिया और यह फैसला लिया है। इनके स्थान पर जल्द ही अन्य एजेंसियों की सूची शासन स्तर से जारी होगी।