मुख्तार अंसारी द्वारा फर्जी दस्तावेज पर 27 शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में 29 मार्च 1996 में दर्ज मुकदमें और इसकी गायब पत्रावलिया पुलिस के गले की फास बन गई हैं। एमपी-एमएलए कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद उसने काफी हाथ- पैर मारे। नए सिरे से पड़ताल की लेकिन सफलता नहीं मिली। मामले में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कोर्ट को यथा स्थिति से भी अवगत करा दिया है। अब गेंद कोर्ट के पाले में है। प्रशासन के अनुसार वह इस मामले में आगे की कार्रवाई कोर्ट के निर्देश के क्रम में करेगा।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ सीबीसीआइडी की ओर से फर्जी दस्तावेज पर लिए गए 27 शस्त्र लाइसेंस के मामले में 1996 में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जाच में लाइसेंस फर्जी पाए जाने पर 30 जून 2003 को तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश पर इसे कोषागार के डबल लाकर में रखवाया गया था। इसके बाद अब जब प्रदेश में एंटी माफिया अभियान शुरू किया गया तो मुख्तार से संबंधित सभी फाइलें दोबारा खोलीं गईं थी।
इस मामले में सुनवाई के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट में संबंधित फाइल पेश की गई। शस्त्र संबंधित अभिलेख ने होने पर कोर्ट ने डीएम से तलब किया। इसके बाद जिला प्रशासन ने जब लाइसेंस की पत्रावलियों की पड़ताल शुरू की तो वह नहीं मिलीं। डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने कोर्ट को पत्रावलियों के गायब होने की जानकारी दी।
फाइलें गायब करवाने की आशंका
पुलिस को फाइलें गायब करने में बड़ी साजिश की आशका है। कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्तार ने फाइलों को गायब करा दिया होगा। अब साक्ष्य के अभाव में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ रही है। गायब पत्रावलियों को खोजवाया गया, लेकिन उनका पता नहीं चल पा रहा है। इस संबंध में न्यायालय का जो दिशा-निर्देश होगा उसी के क्रम में अगली कार्रवाई होगी। गायब पत्रावलियों की जानकारी कोर्ट को दे दी गई है। इस मामले में कोर्ट के आदेश का पूरी तरीके से पालन किया जाएगा।