भदौरा रेलवे स्टेशन पर करीब ढाई वर्ष पूर्व से प्रारंभ हुए फुट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। इसके चलते यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पार कर ट्रेन पकड़ने को मजबूर हैं। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इससे पूर्व भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद ओवर ब्रिज बनाने का कार्य कच्छप गति से चल रहा है। इसे लेकर स्थानीय लोगों में काफी क्षोभ है।
गत वर्ष रेलवे ट्रैक पार करते समय रेवतीपुर गांव के तीन लोगों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। फिर भी यात्री मजबूरी में जान को जोखिम में डालकर ट्रैक पारकर ट्रेन पकड़ के लिए जाते व ट्रेन से उतरकर आते हैं। एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने में यात्रियों को काफी परेशान होती है। खासकर वृद्धों, दिव्यांगों, छोटे बच्चों सहित भारीभरकम सामानों के साथ यात्रा करने वालों को। छोटा स्टेशन होने के चलते ट्रेनों का यहां स्टॉपेज भी कम है, ऐसे में कई यात्रियों की ट्रेन तक छूट जाती है। दोनों तरफ का प्लेटफॉर्म भी ऊंचा है। जहां यात्रियों को चढ़ने-उतरने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। लोगों की मांग पर तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने भदौरा रेलवे स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज बनवाने के लिए धन स्वीकृत करायी थी, जिसके बाद ओवरब्रिज का निर्माण कार्य प्रारंभ हो सका था।
प्रारंभ में तो निर्माण कार्य तेजगति से शुरू हुआ था, लेकिन आज स्थिति यह है कि करीब ढाई वर्ष बीतने के बावजूद अब तक यह ओवरब्रिज अधूरा है। स्टेशन पर क्षेत्र के देवकली, बसुका, उतरौली, नवली, नसीरपुर, भदौरा, सेवराई, मनिया, बकसड़ा, बरेजी, सुरहां, देवल, अमौरा, मिश्रवालिया आदि गांव के अलावा समीप स्थित बिहार प्रांत से भी लोग ट्रेन पकड़ने के लिए भदौरा रेलवे स्टेशन आते हैं। अगर ट्रेन दो नंबर प्लेटफार्म पर आती है, तो मजबूरी में एक नंबर पर खड़े यात्रियों को रेलवे ट्रैक पार कर दो नंबर प्लेट फार्म पर जाना पड़ता है। भदौरा रेलवे स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज का कार्य पूर्ण नहीं होने से यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अगर कार्य हो भी रहा है, तो कच्छप गति से हो रहा है।