गंगा का पानी तो सामान्य स्थिति में आ गया है, लेकिन कहीं-कहीं अभी भी पानी भरा हुआ है। इससे आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। खासकर गंगा से सटे निचले गांवों व दियारा क्षेत्रों में पानी भरा हुआ है। इधर जाने वाले लोगों को इसमें से होकर आना-जाना पड़ रहा है। शहर आदि जगहों से पानी हट गया है। वहीं गंगा अपने सामान्य स्तर तक पहुंचकर धीरे-धीरे नीचे की ओर अग्रसर है। क्योंकि शुक्रवार को सामान्य जलस्तर 59.906 मीटर तक जल स्तर पहुंच गया था, पर पानी के कम होने का क्रम बना हुआ है।
काफी तेजी से पानी घट रहा है। बस वहीं अब पानी लगा है, जहां निकलने का कोई जरिया नहीं बचा है। इसके चलते अब केवल निचले तटवर्ती क्षेत्रों में ही पानी भरा है। जिल के जमानियां, करंडा, गहमर, रेवतीपुर, भांवरकोल आदि तटवर्ती गांवों के दियारा व निचले क्षेत्र में कहीं-कहीं पानी रह गया है, जो अब धीरे-धीरे सूख रहा है। करंडा संवाद के अनुसार यह क्षेत्र नीचा होने के कारण अभी भी यहां तटवर्ती गांवों में बाढ़ का पानी लगा हुआ है। धरम्मपुर-जमानियां पक्का पुल के जाने वाले मार्ग पर काफी पानी लगा है। इसके अलावा खेत-खलिहानों में भी पानी पूरी तरह से नहीं निकल पाया है।
यहां फसलें अभी भी जलमग्न हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गंगा में बाढ़ का पानी भले ही कम हो गया है, लेकिन खेत-खलिहानों सहित कहीं-कहीं सड़कों पर पानी लगा हुआ है। पक्का पुल तक जाने वाला मार्ग अभी भी जलमग्न है। लोग अभी भी इससे होकर आ-जा रहे हैं। ऐसे में लोगों के पैरों में स्कीन रोग होने का खतरा बना हुआ है, क्योंकि बाढ़ का पानी दूषित है और ग्रामीण लगातार इधर से आ-जा रहे हैं। वहीं इधर से दो पहिया लेकर गुजरने वाले लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। बीच-बीच में पानी लगने से बंद हो जाती है। वहीं चार पहिया वाहन चालक भी परेशान हो रहे हैं। गाड़ी के बंद हो जाने पर उसे दोबारा स्टार्ट करने में नाको चने चबाने पड़ जाते हैं। पानी लगे रहने से सड़कों की पिच भी उखड़ रही है। बाढ़ का पानी भले ही कम हो गया हो, लेकिन ग्रामीणों की परेशानी अभी भी बनी हुई है।