साल में तीन लाख रुपये से अधिक का धान व गेहूं बेचने वाले लखपति किसानों के नाम राशन कार्ड से कट जाएंगे। शासन के निर्देश पर इसका सत्यापन शुरू हो गया है। क्रय केंद्रों पर आनलाइन गेहूं व धान बेचने वाले किसानाें का आधार से लिंक होने पर मामला सामने आया है। शासन से जारी सूची में तीन लाख से अधिक की गेहूं व धान क्रय केंद्र पर बेचने के बाद भी लाभ लेने वाले सबसे अधिक बलिया में हैं। बलिया में 2492, आजमगढ़ में 344 व मऊ में संख्या 2272 है।
बड़ी संख्या में किसान तीन लाख से अधिक का साल में अनाज बेचने के बाद भी कोटे की दुकान से हर माह राशन उठाते हैं। शासन ने जिले के ऐसे 2492 बड़े किसानों को चिह्नित कर सूची भेजी है। साथ ही सत्यापन कर ऐसे लोगों के नाम काटने की तैयारी में जिलापूर्ति विभाग जुट गया है। जिले में अंत्योदय कार्ड धारकों को हर महीने 35 किलो तथा पात्र गृहस्थी को प्रति यूनिट पांच किलो राशन मिलता है। इसमें दो रुपये किलो गेहूं तथा तीन रुपये किलो चावल दिया जाता है। कोरोना में इस साल भी मई से नवंबर माह तक नियमित के अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अतिरिक्त राशन मिलेगा। अगस्त माह तक मासिक व अतिरिक्त राशन मुफ्त मिल रहा है। सरकार ने धान व गेहूं सरकारी दर पर क्रय केंद्रों पर बेचने को किसानों का आनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।
ऐसे हुआ खुलासा : इसमें बैंक खाता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड के साथ खतौनी का दस्तावेज भी लगता है। आपूर्ति विभाग को आधार के माध्यम से जिले के ऐसे 2492 बड़े किसानों की जानकारी मिली है जिन्होंने तीन लाख से अधिक रुपये का धान, गेहूं सरकारी क्रय केंद्र पर बेचा है। इसके बाद भी वह हर महीने कोटे की दुकान से राशन उठान कर रहे हैं।
यह है नियम : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में पात्र राशन कार्ड धारक और निष्कासन के नियम तय हैं। ग्रामीण क्षेत्र में निष्कासन आधार के तहत ऐसे परिवार जिनके पास पांच एकड़ से अधिक सिंचित जमीन या सभी सदस्यों की आय दो लाख सालाना से अधिक है उन्हें सस्ते राशन का लाभ नहीं मिल सकता।
बोले अधिकारी : सरकारी क्रय केंद्रों पर तीन लाख से ऊपर गेहूं व धान की बिक्री करने वाले किसानों का सत्यापन किया जा रहा है। शासन से सूची प्राप्त हो गई है। सभी जिलापूर्ति निरीक्षकों को जांच के निर्देश दिए गए हैं।