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वाराणसी में 27 दिन से धरना दे रहे दिव्यांग छात्रों को जबरिया हटाया, विरोध में बीएचयू के छात्र आंदोलित

वाराणसी में 27 दिनों से दुर्गाकुंड मंदिर के ठीक सामने धरना दे रहे दिव्यांग छात्रों को जबरिया हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि पहले सभी को चंदौली सीमा पर स्थित पड़ाव लेकर पुलिस गई। वहां से अलग अलग गाड़ियों में सभी को उनके घर भेज दिया गया। रात करीब ढाई बजे हुई पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ बीएचयू के छात्र उग्र हो गए। उन्हें बीएचयू परिसर से बाहर आने से रोकने के लिए मेन गेट बंद कर दिया गया। इससे वहीं पर छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। सुबह करीब नौ बजे बीएचयू के छात्रों को किसी तरह समझाबुझाकर हॉस्टलों में भेजा गया। हालांकि शहर में कोई उग्र आंदोलन न शुरू हो इसलिए हॉस्टल के छात्रों पर नजर रखी जा रही है। उनके बीएचयू परिसर से बाहर आने पर भी अघोषित रोक लगा दी गई है। छात्रों का आरोप है कि जबरिया हटाने के दौरान पुलिस ने दिव्यांग छात्रों की पिटाई भी की है।

दुर्गाकुंड मंदिर के पास स्थित श्री हनुमान पोद्दार अंध विद्यालय बंद करने के खिलाफ यहां के 12 नेत्रहीन छात्र 27 दिनों से धरना दे रहे थे। एक निजी ट्रस्ट द्वारा संचालित अंध विद्यालय की 9 से 12वीं की कक्षाओं को फंड की कमी का हवाला देकर बंद कर दिया गया था। इसे वापस चलाने की मांग को लेकर दिव्यांग छात्र दुर्गाकुंड इलाके की मुख्य सड़क कैंट-लंका मार्ग जाम करके बैठे थे। 3 अगस्त को धरना शुरू हुआ और तब से इस मार्ग के बंद हो जाने से आम शहरियों और आसपास के लोगों और व्यापारियों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

रविवार को सर्किट हाउस में यूपी सरकार के दिव्यांगजन कल्याण मंत्री अनिल राजभर से छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था। मुलाकात में मार्ग छोड़ देने की सहमति दी थी, मगर उसके बावजूद जब धरना नहीं खत्म हुआ तो पुलिस ने रात में जबरिया हटाया। छात्रों का नेतृत्व बीएचयू के ही एक दिव्यांग छात्र अभय कुमार और संतोष कर रहे हैं। अभय और संतोष के साथ ही बीएचयू के कई दिव्यांग छात्र रोजाना धरना में शामिल हो रहे थे। उन लोगों को रोकने के लिए प्रशासन ने पहरेदारी लगा दी है। मेन गेट के साथ ही छोटे गेटों पर भी निगरानी रखी जा रही है। 

मेन गेट बंद होने पर छात्रों ने सर सुंदरलाल अस्पताल में बने मिनी द्वार से निकलने की कोशिश की तो पुलिस ने रोक दिया। इस बीच कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि उनके साथ जोर-जबरदस्ती भी की गई और सरेराह पीटा भी गया। वहीं, मंत्री अनिल राजभर, जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हालांकि बीएचयू गेट पर नेत्रहीन छात्रों की नारेबाजी और व्यक्तिगत टिप्पणियों पर पुलिस की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।

बताते चलें कि नेत्रहीन छात्रों के इस आंदोलन को विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने अपना समर्थन दिया था। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, कांग्रेस के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा, कांग्रेस नेता अजय राय आदि नेता धरनास्थल पर भी छात्रों को आश्वासन देने पहुंचे थे। 

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