गाजीपुर जनपद के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र काला धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कवायद शुरू कर दी है। जनपद में काला धान की खेती से महकाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ट्रायल भी शुरू कराया है। गाजीपुर में काला धान की खेती 25 हेक्टेअर में शुरू की गई है। इसका चावल सुगंधित होता है और महंगे दामों में बिकता है।
पीजी कालेज में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में काला धान के बीज की तीन प्रजातियां दी गई हैं। प्रत्येक प्रजाति का बीज अलग-अलग तीन प्लाट में बोया गया है। उत्पादन के बाद अलग-अलग क्रॉप कटिग कराकर रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को भेजी जाएगी। वहीं किसानों के द्वारा उत्पादन किए गए धान को भी कटिंग होने के बाद कृषि अनुसंधान परिषद को भेजी जाती है।
काला धान की खेती के लिए अलग-अलग भूमि पर उत्पादन का आकलन करने के लिए बौना प्रजाति की बीज का ट्रायल भी किया जा रहा है। बौना प्रजाति के पौधे की लंबाई छोटी होगी। इससे पौधे गिरेंगे नहीं। धान की बाली लंबी होने के साथ ही खुशबूदार रहेगी।
काला धान की खेती जमानियां क्षेत्र के करीब दस किसानों के द्वारा की जा रहीं है। बीते वर्ष जनपद में पांच हेक्टेअर काला धान की खेती की गई थी, लेकिन इस वर्ष 25 हेक्टेअर में काला धान की खेती की गई है। काला धान में पौष्टीक तत्व अधिक होता है। वहीं यह धान से निकले चावल शुगर फ्री होता है। 18 सौ प्रतिकिलों तक बिकता है, यानि प्रगति के अनुसार काला धान महंगे दामों में बिकता है।
काला धान के बीज प्रयोग के तौर पर कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में बोए गए हैं। उत्पादन के बाद रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को भेजी जाएगी। वहीं जनपद के किसानों के द्वारा भी काला धान की खेती की जा रहीं है। काला धान की खेती कर किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते है।