जिले में विद्यालयों पर लगभग 11 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। बिजली बिल जमा न करने वाले सरकारी विभागों पर पावर कारपोरेशन की नजरें टेढ़ी हो गई हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में स्कूलों की बत्ती भी गुल हो सकती है। बिजली विभाग अभियान चलाकर बिल बकाया होने पर जलनिगम की पानी टंकियों व बीएसएनएल दफ्तर के कनेक्शन काट रहा है। इससे खलबली मची है।
निजी उपभोक्ताओं की तुलना में सरकारी विभागों पर कई गुना अधिक बिजली बिल बकाया है। विभागों ने पिछले काफी दिनों से बिल जमा नहीं कराया। इस पर पावर कारपोरेशन सख्त हो गया है। एमडी के निर्देश पर बिजली विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम मीटरों की जांच कर रही है। जहां अधिक बिल बकाया मिल रहा, उसका कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जा रही है। शिक्षा विभाग भी बिजली के बड़े बकाएदारों में शामिल है।
शिक्षा विभाग पर लगभग 11 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। इसमें प्राथमिक शिक्षा पर 8.10 तो माध्यमिक शिक्षा विभाग पर 2.80 करोड़ बिल बकाया है। इसमें स्कूलों व विभागीय दफ्तरों का बिजली बिल भी शामिल है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से नियमित बिल अदायगी की जाती है। पावर कारपोरेशन जिस तरह से सरकारी विभागों पर सख्त हुआ है, उससे स्पष्ट है कि यदि जल्द बिल जमा नहीं हुआ तो शिक्षा विभाग के दफ्तरों व स्कूलों की बत्ती भी गुल हो सकती है।
पंचायती राज विभाग को बिल अदायगी की जिम्मेदारी
स्कूलों का बिजली बिल जमा करने की जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग को सौंपी गई है। ग्राम पंचायतों के मद व अन्य स्रोतों के जरिए बिल जमा कराने का प्रविधान है, लेकिन विभाग इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। इसकी वजह से बकाया बिजली बिल बढ़ता ही जा रहा। बिजली विभाग ने जलनिगम, बीएसएनएल व अन्य विभागों का कनेक्शन काट चुका है। इससे पेयजल का संकट गहरा गया है। वहीं तमाम तरह की दुश्वारियां भी हो रही हैं।
शिक्षा विभाग का भी काफी बकाया है
बिजली बिल जमा न करने वाले बड़े बकाएदार सरकारी विभागों से वसूली का प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा विभाग का भी काफी बकाया है। पावर कारपोरेशन के निर्देश पर कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जा रही।