राजस्थान एसीबी रिमांड पर लिए गए आइआरएस अधिकारी डा. शशांक यादव से सख्ती से पूछताछ कर रही है और जल्द ही मामले का राजफाश भी कर सकती है। दो दिनों से एसीबी की टीम नीमच में अफीम फैक्ट्री के अधिकारियों से पूछताछ करने के साथ ही आवश्यक पत्रवालियों को भी खंगाल रही है।
बाहर की जांच काफी तेजी से चल रही है, लेकिन डा. शशांक जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और एसीबी के सामने झूठी कहानी बना रहे हैं। उनका कहना है कि मिठाई के डिब्बों में भरे नोट के बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता है। इधर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डा. शशांक से गाजीपुर और नीमच दोनों जगहों का प्रभार छीन लिया है।
डा. शशांक यादव ने नीमच के दो अधिकारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार की जड़ें तीन राज्यों में फैला रखी थी। रिश्वत के बदले अफीम को सही बताकर पट्टा और नवीनीकरण किया जाता था। एसीबी के सामने आ रहे हर तथ्यों की बारीकी से जांच-पड़ताल की जा रही है। रिश्वत की रकम 16.32 लाख रुपये के साथ पकड़े गए डा. शशांक यादव की रिमांड भी गुरुवार को समाप्त हो गई।
कल यानी शुक्रवार को उसे एसीबी की कोर्ट में दोबारा पेश किया जाएगा। उधर, आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि जिसकी गाड़ी से शशांक पकड़े गए हैं कि वह उनके भाई की हैं, जो एएसपी हैं। हालांकि एसीबी इस मामले की भी जांच कर रही है, इसके बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि यह गाड़ी किसकी है। 17 जुलाई को रिश्वत की रकम के साथ डा. शशांक को पकड़ने के बाद से ही एसीबी काफी तेजी से जांच कर रही है।
आज उन्हें कोर्ट में पेश करने के साथ ही एसीबी मामले का राजफाश भी कर सकता है। डा. शशांक ने ज्यादातर भ्रष्टाचार का खेल नीमच से ही करते थे, लेकिन गाजीपुर का भी उनके पास प्रभार होने से यहां के कर्मी भी चितित हैं।