जिले के गोआश्रय स्थलों की हालत बेहद दयनीय हो चली है। केंद्रों पर ना तो पशुओं को खाने के लिए चारा है और ना ही बेहतर इलाज के कोई प्रबंध है। सफाई व्यवस्था तो पूरी तरह से बेपटरी हो गई है। तीन महीने से पशुओं के रखरखाव के लिए प्रति पशु 30 रुपये के प्रतिदिन के हिसाब से निर्धारित धनराशि भी नहीं मिल रही है। ऐसे में आए दिन पशु दम तोड़ रहे हैं। शुक्रवार को टीम ने कासिमाबाद के तीन गोआश्रय स्थल का पड़ताल की। इसमें ज्यादातर केंद्रों पर अव्यवस्थाएं हावी दिखीं। कई स्थानों पर मानदेय न मिलने से रखरखाव में लगे कर्मी भी उदासीन हैं।
कासिमाबाद ब्लाक के सुकहा गांव में जिला पंचायत द्वारा संचालित काजी हाउस है। यहा पर पशुओं की संख्या सबसे कम है। फिर भी चारे व इलाज के अभाव में पशुओं की मौत होती रहती है। हरे चारे की व्यवस्था नहीं है। पशुओं के केयर टेकर का वेतन दिसंबर माह से बकाया है। परजीपाह गांव स्थित बृहद स्थाई गो संरक्षण केंद्र पर 361 पशु हैं। जहां पर बाउंड्री वाल ना होने के कारण बाहर निकल जाते हैं और किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। संचालक मीनू श्रीवास्तव ने बताया कि तीन महीने से पशुओं के रखरखाव के लिए मिलने वाली धनराशि नहीं मिली है। उधार लेकर खिलाना पड़ रहा है।
यहां सांप ज्यादा निकलते हैं, जो पशुओं काट लेते हैं। इसके कारण पशुओं की मौत भी हो चुकी है। बड़ौरा गांव के पूर्वांचल सहकारी कताई मिल के परिसर में बने अस्थाई निराश्रित गो-आश्रय स्थल में पशुओं की संख्या 325 है। पशु स्वस्थ्य भी हैं, लेकिन बरसात का पानी परिसर में लगने से पशुओं रहने में कठिनाई होती है। बरसात का गंदा पानी पीने से पशु बीमार हो जा रहे हैं। संचालक मनोज सिंह ने बताया कि पशुओं के भोजन के लिए मिलने वाली धनराशि तीन महीने से नहीं मिली है। यही नहीं दो लाख रुपये फरवरी महीने का बाकी है। इसके कारण पशुओं के चारे आदि की व्यवस्था करने में कठिनाई हो रही। बीडीओ शिवांकित वर्मा ने बताया कि धनराशि के लिए अपने यहां से रिपोर्ट जिले को भेज दी गई है। धन जिला पशु चिकित्सा अधिकारी के यहां से भेजा जाता है।