बारिश व बाढ़ के मद्देनजर रेलवे प्रशासन पूरी तरह से कमर कस चुका है। कटान के संभावित खतरों को भांपते हुए रेललाइन व आसपास क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी गई है। बड़े-बड़े रेलवे ब्रिज पर लगे वाटर लेवल मेजरमेंट डिवाइस को चालू कर दिया गया है। इनके जरिए रेलवे कंट्रोल को बाढ़ आने से पहले उसकी जानकारी मिल जाएगी। तीन वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया डिवाइस काफी कारगर साबित हो रहा है। नदी में जलस्तर बढऩे के दौरान इससे ट्रेनों के परिचालन में काफी सहायता मिल रही है।
पहले भारतीय रेलवे में पारंपरिक गेज पद्धति से नदी में जल स्तर मापा जाता था। इस काम के लिए बारिश के दिनों में एक टीम लगाई जाती थी। फिर भी समय रहते बाढ़ का पता नहीं लगाया जा सकता था। अब रेलवे ने खुद को अपडेट कर लिया है।
डिवाइस ऐसे करता है काम
वाटर लेवल मेजरमेंट डिवाइस तय समय से पहले इंजीनियरिंग विभाग को अलर्ट कर देता है ताकि अधिकारी संबधित ब्रिज पर निगरानी बढ़ा सकें। डिवाइस से संदेश प्राप्त होने के बाद ब्रिज से गुजरने वाली ट्रेनों को काशन पर चलाया जाता है। डिवाइस रेल अफसरों को 24 घंटे में दो बार अलर्ट संदेश जारी करता है। पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे प्रशासन ने अपने क्षेत्र के अंतर्गत ब्रिज पर डिवाइस को सक्रिय कर दिया है।
यहां लगे हैं डिवाइस
वाटर लेवल मेजरमेंट डिवाइस गंगा पर मालवीय ब्रिज और दारागंज-झंूसी के बीच आइजेट ब्रिज पर लगाया गया है। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के 15 में 10 ब्रिज पर यह डिवाइस इंस्टाल कर दिया गया है। इसमें मांझी ब्रिज (बिहार) व तुर्तीपार में खड़े ब्रिज भी शामिल है।
रेलवे के संवेदनशील पुलों पर डिवाइस इंस्टाल कर दिया गया है
रेलवे के संवेदनशील पुलों पर डिवाइस इंस्टाल कर दिया गया है। आपात स्थिति से निपटने के लिए पुलों के पास बोल्डर और फैनडस्ट रखे गए हैं। गंगा में जलस्तर बढऩे की समय से जानकारी मिल रही है।