मानसून की दस्तक ने चंद्रप्रभा की वादियों को गुलजार कर दिया है। चहुंओर फैली हरियाली जहां मन को मोह रही है, वहीं जल प्रपातों से गिरते पानी को सैलानी निहारते नहीं थक रहे हैं। प्राकृतिक जलश्रोतों से फूट रही जल धारा ने वन्य जीवों को निहाल कर दिया है। पव फटते ही पक्षियों के कलरव से समूचा वन क्षेत्र गुंजायमान हो जा रहा है।
चंद्रप्रभा अभयारण्य 96 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। वर्ष 2016 में वन विभाग की ओर से कराई गई वन्य जीवों की गणना में गुलदार (तेुंदुआ) 3, चिंकारा 123, घड़़रोज 174, सांभर 101, भालू 104, सुअर 266, बंदर 445, लंगूर 335, मगर 3, भेड़िया 3, लकड़बग्घा 55, लोमड़ी 102, सियार 175, मोर 150 व शाही की संख्या 68 है। पूर्व के वर्षों में वैशाख व जेठ मास की तपती गर्मी में वन्य जीव अपना गला तर करने काे व्याकुल हो जाया करते थे। परिणामस्वरूप दूर दूर तक वन क्षेत्र में पानी की तलाश पूरी नहीं होने पर वन्य जीवों का झुंड इंसानी बस्तियों की ओर कूच कर जाता था। इतना ही नहीं लू के थपेड़ों से ऊंची पहाड़ियां व वनों की हरियाली वीरान हो जाती थी, लेकिन अबकी वर्ष मई माह के दूसरे पखवारे में ही टाक्टे तूफान के कारण लगभग 20 मिलीमीटर हुई बारिश वन्य जीवों के लिए वरदान साबित हुई है।
वन क्षेत्र तो हरा भरा हो ही गया है, पानी की कमी भी पूरी हो गई है। वहीं पिछले दो दिनों से मानसून की दस्तक ने वनों की रौनक को लौटा दिया है। लगातार हो रही बारिश से चाहे राजदरी, देवदरी का जलप्रपात हो या आमचुआं, लेड़हा, गोठौली, सिंगारे, कबूतरवा, जमसोती आदि वन क्षेत्र में स्थित चुआंड़, चट्टानों से फूट रही जल धारा से वन्य जीव निहाल हो रहे हैं। चंद्रप्रभा की वादियों के गुलजार होने से आए दिन यहां सैलानियाें का जमावड़ा लगने लगा है। सैलानी जलप्रपातों से गिरते दूधिया जल को देख प्रफ़ुल्लित हो रहे हैं।
बोले अधिकारी
बारिश से चंद्रप्रभा अभयारण्य में हरियाली तो आ ही गई है। प्राकृतिक जलश्रोत भी पानी से परिपूर्ण हो गए हैं। इससे वन्य जीवों को राहत मिली है। जलप्रपातों को निहारने के लिए सैलानियों का जमावड़ा लगने लगा है।
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