मानसून की आहट के बाद रेल महकमा तैयारियों में जुट गया है। मुंबई की बारिश से सबक लेते हुए कैच ड्रेन वाटर की सफ़ाई कराई जा रही है, वही बोल्डर फॉलिंग एरिया को चिन्हित कर उस स्थान को सुरक्षित किया जा रहा है। रेलवे इंजिनियरिंग विभाग की इस कवायद से ट्रेनों के परिचालन में मूसलाधार बारिश और आंधी बाधा उत्पन्न नही करेगी।
कुछ दिनों पहले रेलवे मंत्री पियूष गोयल ने मानसून की तैयारियों के बाबत रेलवे बोर्ड के अफसरों संग समीक्षा की थी। मुम्बई में बारिश से उत्पन्न परिचालन से जुड़ी समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया गया था। इस बाबत संयुक्त प्लान बनाकर उसे भारतीय रेलवे में लागू करने का निर्देश दिया था। जिसके अनुपालन में क्षेत्रीय रेलवे ने योजनाबद्ध तरीके से कार्य कराना शुरु कर दिया।
इसके तहत ट्रैक के किनारे पेड़ की शाखाओं और टहनियों की छटाई कराई गई। मर्ड पंपिंग की निगरानी बढ़ा दी गई है। ट्रैकमैन को पूरी तरह से अलर्ट कर दिया गया है। लखनऊ मंडल के एईएन पियूष पाठक ने बताया कि संरक्षा संगोष्ठी के जरिए पेट्रोल मैन को प्रशिक्षित किया जा रहा है। मानसून में काम करने के तौर तरीको की जानकारी दी जा रही है।
लेकिन पूर्वांचल में हैं चुनौतियां :
पूर्वांचल में वर्ष भर ट्रैक पर पशुओं के आने का जहां खतरा रहता है वहीं दूसरी ओर बारिश के दौरान मिट्टी खिसकने से पटरी को नुकसान और बाढ़ के दौरान पटरियों को खतरा रहता है। जबकि आंधी पानी के दौरान ट्रैक पर पेड़ गिरने के मामले भी होते रहे हैं। जबकि इलेक्ट्रिक रूट पर तार टूटने का खतरा ट्रेनों के संचालन को दुश्वारी देता रहा है। मगर अब रेलवे की ओर से बारिश के मौसम के पूर्व ही विशेष अभियान चलाकर ट्रैक को दुश्वारियों से मुक्त करने का काम शुरू कर दिया गया है। ऐसे में इस बार चुनौतियों के आने से पूर्व ही उसका निदान कर रेलवे की गति को बढ़ने का प्रयास किया जा रहा है।
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