पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार एक ओर जहां पौधारोपण पर जोर दे रही है, वहीं माफिया बेखौफ होकर हरे पेड़ों को काटने में लगे हैं। वे आसानी से पेड़ों को काटकर लकड़ी की तस्करी करने में जुटे हैं। तस्करों के सामने प्रशासन बौना साबित हो रहा है।
सेवराईं तहसील क्षेत्र के बागीचों से पेड़ काटकर माफिया ट्रैक्टर के माध्यम से लकड़ी बिहार भेज रहे हैं। इससे माफियाओं को मोटी आमदनी हो रही है। यह खेल अधिकतर रात में होता है। माफिया ताड़ीघाट-बारा मार्ग के रास्ते कर्मनाशा पुल होकर इसकी तस्करी करा रहे हैं। तहसील क्षेत्र के देवल कर्मनाशा पुल से भी लकड़ी तस्करी करवाई जा रही है। क्षेत्र में चर्चा है कि माफियाओं को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। इसलिए रात के अलावा अब दिन में भी तस्करी होने लगी है। कीमती पेड़ों को बारा एवं देवल स्थित कर्मनाशा पुल के रास्ते बिहार ले जाया जा रहा है।
बिहार के चौसा में स्थित आरा मिल में चिरवाया जाता है। तस्करी के समय तस्कर बाइक से लोड वाहन के आगे-पीछे रेकी करते हैं। बिहार सीमा तक पहुंचाने के बाद लौट जाते हैं। क्षेत्र के देवल, बारा, गहमर, करहियां, भदौरा, अमौरा, सायर आदि गांव के कुछ लोग इसकी तस्करी करवाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। परंतु पुलिस से सांठगांठ के कारण उन लोगों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है। वन विभाग लकड़ी तस्करी के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाता है लेकिन तस्करों को पकड़ने में नाकाम होता है।
वर्जन
तस्करी की सूचना मिलते ही छापेमारी की जाती है। गुप्तचरों को भी लगाया गया है। अगर लकड़ी तस्कर पकड़ में आए तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर इसकी तस्करी नहीं होने दी जाएगी।