क्षेत्र के श्मशान घाट पर शवों को प्रवाहित करने को लेकर अधिकारी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वे नावों से चक्रमण करते दिख रहे हैं, लेकिन घाटों के किनारे फैली गंदगी शायद उन्हें नहीं दिख रही है। सफाई के लिए घाटों पर सफाई कर्मियों की तैनाती तो कर दी गई है लेकिन उसके बावजूद यह स्थिति है। इसके चलते शवदाह करने जाने वाले लोगों को गंदगी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं शिकायत के बावजूद जनप्रतिनिधि भी उदासीन बने हैं।
कोरोना संक्रमण के चलते सुल्तानपुर गंगा तट पर शवो की संख्या बढ़ी है। उधर शवदाह करने के दौरान शवों के साथ आए स्वजन बांस की सीढ़ी (टिकठी), कफन आदि किनारे फेंक देते हैं जिससे घाट काफी दूर तक गंदगी पट गया है। गंगा तट पर शव दाह की व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी कभी अपने वाहनों से तो कभी नाव से चक्रमण करते नजर आ रहे हैं तो वहीं सफाई कर्मी भी शिफ्टवार तैनात किए गए हैं। मगर घाट किनारे फैली गंदगी का साफ न होना उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। शवदाह के लिए जाने वाले लोगों का कहना है कि घाट पर गंदगी से वहां जाने पर संक्रमण फैलने का डर है।
प्रतिदिन घाटों की हो रही सफाई सुल्तानपुर श्मशान घाट पर सामान्य दिनों में 10 से 15 शव अंत्येष्टि के लिए आ रहे थे। इस कोरोना काल में अचानक इस घाट पर 120 से 150 तक शव आ रहे हैं। 12 मई के बाद फिलहाल यह संख्या 20 से 25 पर आ गई है। खंड विकास अधिकारी सुशील सिंह ने बताया कि शवदाह की रिपोर्ट प्रतिदिन उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जा रही है। श्मशान घाट पर सफाई के लिए सफाई कर्मियों के साथ मजदूर लगाए गए हैं। वहां फैले कचरे व मलबे को हटवाया जा रहा है।