उभले ही आप खुदरा बाजार में टमाटर 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम फुटकर बाजार में खरीद रहे लेकिन मण्डी में किसानों को टमाटर की फसल की कीमत नहीं मिल रही। लिहाजा किसानों ने टमाटर की फसल को खेत में तोड़ना ही बंद कर दिया तो कुछ तोड़ कर खेत में ही खाद बनने के लिए छोड़ दे रहे हैं।
असल में कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए आशिंक लॉकडाउन के कारण शादी-विवाह, होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे बंद पड़े हैं। दूसरी ओर शहर देहात में लगने वाले हॉट बाजार भी कम ही लग रहे। ऐसे में टमाटर की मांग अचानक से गिर गई है। दूसरी ओर पश्चिम के जिलों से दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में जाने वाली सब्जियां भी किसान आंदोलन के कारण सस्ती दरों पर इन्हीं क्षेत्रों में आ जाने से मण्डी में सब्जियों की मांग गिर गई है। गोरखपुर की महेवा मण्डी में टमाटर 2 रुपये प्रति किलोग्राम किसानों से व्यापारी खरीद रहे हैं। हालांकि फुटकर बाजार में यह 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा लेकिन किसानों को लागत और मुनाफा तो दूर की बात उनका भाड़ा तक नहीं मिल पा रहा है। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश महासचिव बंधू उपेंद्र सिंह कहते हैं कि सरकार ने किसान, उसने उत्पाद और बाजार को कोरोना संक्रमण के आंशिक लाकडाउन में छूट दे रखी है। जिला प्रशासन के उत्पाद की बिक्री में कोई दिक्कत न आए इसके लिए तत्काल उचित कदम उठाना चाहिए।
20 एकड़ में बोया टमाटर, तोड़ने की मजदूरी भी नहीं मिल रही
शहर के नजदीक एयरफोर्स एरिया के निकट रजही स्थित पुरुषोत्तम फार्म में 12 के करीब किसानों ने मिल कर 20 एकड़ में टमाटर की खेती कर रही है। प्रति एकड़ खर्च 84000 रुपये आया है। उम्मीद थी कि 800 कैरेट टमाटर का उत्पादन होगा। 10 रुपये के भी भाव मिल गए तो कम से कम 2 लाख रुपये मिलेंगे। लागत निकाल कर 1.16 लाख रुपये बच जाएंगे। किसान सर्वजीत मौर्या, श्याम कुमार मौर्या, हरिकेश मौर्या, अमर निषाद, रामवचन निषाद, पिंटू मौर्या कहते हैं कि अब तो फसल तोड़ भी नहीं रहे हैं। कुछ व्यापारी मण्डी में बिक्री के लिए अपनी गाड़ी लेकर आ जाते हैं तो उन्हें मण्डी में बिक्री के लिए दे देते हैं।
लौकी और खीरा ने भी रुलाया
श्याम और सर्वजीत ने क्रमशा 4-4 एकड़ में खीरा और लौकी भी लगा रखा था। काफी अच्छी फसल आई थी लेकिन कोई फायदा नहीं उठा पाए। बाजार में खीरा जहां 20 से 30 रुपये फुटकर बिका वहीं लौकी भी कम से कम 20 रुपये प्रति किलोग्राम अब भी बिक रही। लेकिन किसानों से व्यापारी लौकी सिर्फ 7 से 8 रुपये प्रति किलोग्राम एवं खीरा 4 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम ही खरीद रहे हैं। हरी मिर्च की कीमत में पिछले चार दिनों से सुधार आने के बाद अब 28 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम किसान के पास से बिक रही है, वही भिंड़ी के लिए 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहे हैं।
कोरोना के संक्रमण ने तोड़ दी कमर
कैम्पियरगंज हिन्दुस्तान संवाद ने बताया कि सोनौरा बुजुर्ग गांव के किसान वीर बहादुर सिंह ने 7 एकड़ में टमाटर की खेती की है। वीर बहादुर बताते हैं कि उन्होंने 3.50 लाख रुपये से अधिक का निवेश किया। मण्डी में व्यापारी सिर्फ 2 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव दे रहे हैं। टमाटर को पौधो से तोड़ने की मजदूरी भी नहीं मिल रही है। फसल पक कर खेत में ही सड़ रही है। गांव के लोकल बाजार में टमाटर 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से थोड़ा बहुत बिक जाता है। वीर बहादुर सिंह कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौर में सब्जी उत्पादक किसानों की कमर तोड़ दी है।