जिले में आक्सीजन की किल्लत अब नहीं होगी। आक्सीजन जेनरेटर मशीन बुधवार को नई दिल्ली से जिला अस्पताल पहुंच गई। इसे क्रेन से उतारकर अस्पताल के आक्सीजन स्टोर कक्ष में लगाया गया। अगले सप्ताह से जिला अस्पताल में प्रतिदिन दस हजार लीटर आक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। अभी तक मऊ व गोरखपुर से आक्सीजन रिफिल होकर आता था, जिससे उसकी उपयोगिता पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती थी। मशीन वातावरण से 70 प्रतिशत शुद्ध आक्सीजन फिल्टर कर स्टोर करेगी। यह एक मिनट में दो सौ लीटर शुद्ध आक्सीजन स्टोर करेगी।
इस तरह एक दिन में करीब दस हजार लीटर आक्सीजन स्टोर करने की क्षमता है। 40 लाख की लागत, तीन वर्ष की गारंटी कोविड संक्रमण के बीच आक्सीजन की कमी दूर करने को अस्पताल में लगने वाली आक्सीजन जेनरेटर मशीन 40 लाख रुपये की है। गारंटी तीन वर्ष की है, इसके रख-रखाव के लिए कंपनी एक कर्मचारी को ट्रेनिग देगी, जो मशीन को आपरेट करेगा। एक दिन में 500 बड़े सिलेंडर होंगे रिफिल
यह मशीन हवा को जियोलाइट केमिकल से आक्सीजन और नाइट्रोजन से अलग करती है। नाइट्रोजन को वातावरण में छोड़ देती है और आक्सीजन को स्टोर करती है। इसके जरिए 24 घंटे में 500 जंबो (बड़े) आक्सीजन सिलेंडर भरे जा सकते हैं। आक्सीजन जेनरेटर मशीन दिल्ली से जिला अस्पताल पहुंच गई है। तीन से चार दिन में इंस्टाल करने के बाद सप्लाई शुरू हो जाएगी। अस्पताल प्रशासन खुद व कोविड अस्पतालों की सप्लाई के बाद सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को आक्सीजन दे सकेगा।