मेरठ के नौचंदी थाने में फरियादियों पर चंदन तिलक और गंगाजल छिड़ककर चर्चाओं में आए इंस्पेक्टर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार उन्होंने थाने में एक केस का समझौतानामा नए तरीके से लिखवाया है।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष शाक संवत... विक्रम सम्वत 2066 को हम तीनों लोगों के बीच एक सहमति बनी है। अब हम तीनों देवमाता गायत्री देवी की शरण में जाएंगे। मां गायत्री की एक माला (108 मनके) का जाप नियमित रूप से करेंगे। सामान्य परिस्थतियों में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पूर्ण श्रद्धा और सनातन हिन्दू धर्म के संस्कारों के अनुरूप आज से और अभी से अपना जीवन आगे बढ़ाएंगे। जी हां, यह कोई संकल्प पत्र नहीं, बल्कि समझौतानामा है।
दरअसल, शास्त्रीनगर निवासी 58 वर्षीय व्यक्ति ने दो माह पूर्व गाजियाबाद की तलाकशुदा महिला से मंदिर में फेरे लिए थे। महिला अपने 19 वर्षीय बेटे संग वृद्ध के साथ एक गृहणी के रूप में रह रही है। वृद्ध का आरोप है कि मां-बेटा उसकी पिटाई करते हैं। संपत्ति हड़पना चाहते हैं। वह शिकायत लेकर नौचंदी थाने पर पहुंचा। वृद्ध के अनुसार, इंस्पेक्टर ने कार्रवाई की बजाय दोनों पक्षों से इस तरह का समझौतानामा लिखवा लिया। पीड़ित गुरुवार को इस बाबत पुलिस के आला अफसरों से मिलेंगे।
रामकुमार शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता कहते हैं कि हमारा कानून आईपीसी, सीआरपीसी और पुलिस मैनुअल से चलता है। इस तरह पुलिसिंग नहीं चलती। ऐसे इंस्पेक्टरों को थाने के मंदिर का चार्ज दे दिया जाए। प्रेमचंद शर्मा, इंस्पेक्टर थाना नौचंदी का कहना है कि वृद्ध की तहरीर पर महिला व उसके बेटे के विरुद्ध मारपीट का केस दर्ज कर लिया था। लेकिन कुछ घंटे बाद दोनों पक्ष समझौतानामा लेकर आ गए। उसमें उन्होंने क्या लिखा, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।