पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र की अस्थियां शुक्रवार की सुबह वाराणसी में गंगा में विसर्जित कर दी गईं। फूल मालाओं से सजे अस्थि कलश को उनके बेटे और परिवार के अन्य लोग लेकर गंगा घाट पहुंचे। इस दौरान लोग पंडित मिश्र का मशहूर गीत धन्य भाग्य सेवा का अवसर पाया गाते रहे। अस्सी घाट के ठीक सामने बजड़े से बीच धारा में पहुंच कर अस्थियां गंगा को समर्पित की गईं।
इससे पहले अस्थि कलश शुक्रवार सुबह काशी लाया गया। कबीरचौरा स्थित आवास के बाहर दर्शन के लिए रखा गया। वहां से करीब दस बजे परिवार के लोग विसर्जन के लिए घाट पहुंचे। अस्थिकलश के साथ पंडित राजन मिश्र के छोटे भाई पंडित साजन मिश्र व पुत्र रजनीश मिश्र वाराणसी पहुंचे। गौरतलब है कोरोना से संक्रमित होने के कारण हृदयाघात से पंडित राजन मिश्र का दिल्ली में निधन हो गया था।
कबीरचौरा स्थित घर के अंदर नहीं गया परिवार, बाहर से ही लौट जाएंगे दिल्ली
अस्थिकलश कबीरचौरा स्थित पैतृक आवास के बाहर चबूतरे पर ल9गयं के दर्शन के लिए रखा गया। करीब दो घंटे बाद अस्थियों को लेकर परिवार के लोग अस्सी घाट पहुंचे। जहां अस्थिकलश का वैदिक रीति से पूजन हुआ। पंडित साजन मिश्र ने बताया कि मृत्यु के बाद के कर्मकांड दिल्ली में किए जा रहे हैं। घंट भी दिल्ली में ही बांधा गया है, इसलिए अस्थि कलश लेकर वह अपने घर में नहीं गए। बाहर ही रहे। अस्थियों का विसर्जन करने के बाद वह पुनः कबीरचौरा लौटेंगे। घर के बाहर दो से तीन घंटे चबूतरे पर बैठेंगे। शोक जताने के लिए आने वाले लोगों से वहीं मुलाकात करेंगे। शाम को विमान से दिल्ली लौट जाएंगे।