प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को प्रदूषण मुक्त कराने की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को मिली है। संस्थान के वैज्ञानिक वाराणसी में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह तलाशेंगे। इसके लिए वैज्ञानिकों ने वाराणसी के अलग-अलग इलाकों में सेंसर व उपकरण लगाकर मॉनीटरिंग शुरू कर दी है। आईआईटी की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न सिर्फ पूरी जानकारी केंद्र सरकार के साथ साझा करेगा बल्कि प्रदूषण से निपटने की कार्ययोजना भी बनाएगा।
वाराणसी की हवा को सुधारने की कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहल कर दी है। बोर्ड ने आईआईटी कानपुर के साथ समझौता कर नई योजना तैयार करने की पहल की है। वैज्ञानिकों की टीम पांच वर्षों तक हवा के डाटा को संग्रहित कर एक रिपोर्ट तैयार करेगी। वे बताएंगे कि हवा को सबसे अधिक क्या चीज प्रदूषित कर रही है और इसका मुख्य आवक क्या है।
हवा में क्या-क्या नुकसानदायक मेटल, गैस या अन्य सूक्ष्म कण शामिल हैं। इनकी वजह वाराणसी में लगी इंडस्ट्री या अन्य कोई माध्यम है या फिर दूसरे जिलों से हवा प्रदूषित हो रही है। इसके लिए आईआईटी कचहरी, लहुराबीर, चांदपुर आदि में मशीन स्थापित कर वायु की गुणवत्ता मापने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने शहर को तीन भागों में बांटा है औद्योगिक क्षेत्र, रिहायशी क्षेत्र व मिश्रित क्षेत्र। आईआईटी की इस रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जुर्माने के साथ अन्य कार्रवाई की योजना भी तैयार करेगा।