त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाएं अपना दम दिखा रही हैं। सैदपुर ब्लाक के 98 ग्रामसभाओं में एक अनुसूचित जनजाति के साथ आठ अनुसूचित जाति और नौ पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए प्रधानपद को आरक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त 15 सामान्य प्रधानपद स्त्रियों के लिए सुरक्षित कर कुल 33 पदों पर महिला ग्रामप्रधान अपने कार्यभार संभालने के लिए कमर कस रही हैं। कई अन्य सीटों पर भी महिलाएं पुरुषों के साथ ग्रामप्रधान बनने की जोर आजमाइश कर रहीं हैं।
पंचायती चुनाव मैदान में उतरने में महिलाओं में जबर्दस्त उत्साह नजर आ रहा है। आगामी चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षित 33 प्रतिशत सीटों के अलावा अनारक्षित सीटों पर भी महिला उम्मीदवार जमकर अपना दावा ठोक रही हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं घर की दहलीज पार कर कड़ी धूप में अपना प्रचार प्रसार कार्य भी कर रही हैं। जागरूकता और शिक्षा के साथ सामाजिक परिवर्तन के दौर में अब महिलाएं पुरुषों के पीछे नहीं बल्कि उनसे एक कदम आगे निकलना चाहती हैं। महिलाओं के सक्रियता से इस बार पंचायत चुनाव में महिलाओं से जुड़े मुद्दे ज्यादा उठाए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका कमला देवी कहती हैं कि पिछले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो कुल खड़े प्रत्याशियों में से ग्राम प्रधान पद पर 43.8 प्रतिशत महिलाएं काबिज हुई थी। जिला पंचायत अध्यक्ष के 75 पदों में से 44 यानि 59.5 फीसदी महिलाओं के हिस्से में गए थे। ब्लाक प्रमुख के पदों पर भी 51.1 प्रतिशत महिलाएं जीती थीं यानि आधी आबादी ने वाकई पंचायत चुनाव में पुरुषों से अपने अनुपात के अनुसार आधी हिस्सेदारी हासिल कर ली थी।