लहुरीकाशी में गुरुवार को शहर से लेकर देहात तक होली का सुरूर बाजार पर छाने लगा है। मुख्य बाजारों से लेकर मुहल्ले व कालोनियों में रंग और पिचकारी की दुकानें सज गई हैं। मिश्रबाजार, महुआबाग, विश्वेश्वरगंज समेत प्रमुख बाजारों में होली को लेकर चहल-पहल बढ़ गयी है। होली का उत्साह बच्चों, युवा और बड़ों पर दिखने लगा है। दुकानें सज गई और खरीदारी के लिए महिला पुरुष भी बाजार में पहुंच रहे हैं। दोपहर को कपड़े और चिप्स पापड़ कीदुकानों समेत सजावटी सामानों की भी खरीदारी हुई। राज्य सरकार के द्वारा भी होली को लेकर कोविड गाइडलाइन जारी कर दिया गया है। मगर फिर भी पिछले वर्ष से इस वर्ष बाजार में अपेक्षा से कम बिक्री होने के कारण व्यापारी चितित नजर आ रहे हैं।
रंगो के त्योहार होली में अभी चार दिन दिन का वक्त बाकी है। जिसको लेकर बाजार में चहल-पहल बढ गई है। दुकानों पर कई प्रकार के कलर, स्प्रे, गुलाल के गिफ्ट पैक व आकर्षक डिजाइन की पिचकारी नजर आने लगी हैं। रंगों के त्योहार होली को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल बढ़ गई है। सबसे ज्यादा भीड़ रेडीमेड कपड़ों की दुकानों पर नजर आई। लोगों ने पसंद के कपड़ों के साथ-साथ खाने-पीने की चीजों की भी जमकर खरीदारी की। वहीं होली बाजार देर शाम तक गुलजार रहा। लोगों ने डिजाइनर कपड़े, खादी के वस्त्र, कुर्ती, जूता-चप्पल, जींस-टीशर्ट, पापड़, चिप्स खरीदे। नमकीन व कचरी खरीदने को भीड़ उमड़ने लगी है। होली के लिए विशेष रूप से नमकीन व कचरी खरीदने को बाजार में नमकीन खरीदी जा रही है। काजू,बादाम, केले की नमकीन भी खूब खरीदी जा रही है। वहीं कचरी का बाजार भी गर्मा गया है। आलू के पापड़, चिप्स, रंग-बिरंगी कचरी के अलावा उड़द की दाल के पापड़ समेत कई तरह की कचरी बाजार में है।
वहीं दूसरी ओर होली पर कोरोना संक्रमण का असर दिख रहा है। लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं कि रंग से लेकर गुलाल तक हर्बल खरीद कर रहे हैं। ग्राहकों की पसंद को देखते हुए एफएमसीजी सेक्टर की कई कंपनियों ने बाजार में हर्बल रंग और गुलाल उतार दिया है। वहीं पिचकारी में भी चाइनिज माल नहीं आने से बेहतर प्लास्टिक की पिचकारी बाजार में उपलब्ध है। अबकी बार स्वदेशी गुलाल, रंग और पिचकारी से बाजार गुलजार है। स्वदेशी रंगों की बौछार से सराबोर होंगे हुरियारे। खास बात यह है कि स्वदेशी रंग व गुलाल पर कंपनी का नाम व इसमें क्या-क्या मिला है, यह तक लिखा है। फोन नंबर भी कई स्वदेशी रंगों पर लिखे हैं। जबकि चाइना यह सब नहीं लिखता था। अब ग्राहकों को पता होगा कि रंग व गुलाल कहां बना हैं।