फार्ड फाउंडेशन और भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र की ओर से बायोटेक किसान परियोजना के तहत चयनित गांव जोगामुसाहिब में शिवांश एफपीओ द्वारा किसानों को शुक्रवार को 2250 किलो सूरन व 750 किलो हल्दी के उन्नतशील किस्म के बीज वितरित किए गए।
फार्ड फाउंडेशन के जिला प्रभारी तुषार कांत राय ने बताया कि सूरन व हल्दी की खेती से किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। सूरन का वितरित बीज पूसा गजेंद्र है। इसके रोपण का समय अप्रैल का प्रथम सप्ताह है। बीजरोपण के छह से आठ माह बाद इसकी फसल तैयार हो जाती है। वहीं हल्दी किस्म मेधा है, इसके रोपण का समय भी वही है जो सूरन का है। इसकी पैदावार 23 टन प्रति हेक्टयर है। इसके तैयार होने का समय आठ से नौ माह है। उन्होंने बताया कि सूरन और हल्दी की खेती काफी फायदेमंद है। इसमें लागत कम आती है।
इसकी खेती बगीचे में भी की जा सकती है, जिससे दोहरा लाभ मिल सकता है। दोनों की खेती में जोखिम कम और लाभ अधिक है। इस समय हल्दी की मांग अधिक है। इसका उपयोग मसाला के अलावा दवा और कास्मेटिक के रूप में भी इसका व्यापक उपयोग हो रहा है। इसमें पाया जाने वाला तत्व करक्यूमिन काफी उपयोगी है जो कैंसररोधी एंटीआक्सीडेंट, एंटी वायरल और एंटी इंफ्लेमेटरी होता है। डा. रामकुमार राय, कृष्णकांत राय, पंकज राय, रामबचन राय, राजेश यादव आदि थे।