पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के एक फैसले से नेताओं सहित कार्यकर्ताओं को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। शीर्ष नेतृत्व के फैसले के अनुसार जिलाध्यक्ष, जिला महामंत्री और इससे ऊपर के पदाधिकारी पंचायत चुनाव नहीं लड़ेंगे, अगर वह ऐसा करेंगे तो उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना होगा।
इतना ही नहीं, इससे नीचे के पदाधिकारी अगर चुनाव लड़ते हैं और जीत जाएंगे तब उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा। भाजपा के इस फैसले ने न सिर्फ चुनाव लड़ने के इच्छुक पदाधिकारियों को दुविधा में डाल दिया है, बल्कि जो वर्षों से भाजपा के बैनर तले इसकी तैयारी में लगे हुए थे, उनमें उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
पंचायत चुनाव को लेकर सपा, कांग्रेस बसपा, आम आदमी पार्टी सहित तमाम दलों ने अपनी कमर कस ली है और सभी पार्टी समर्थित प्रत्याशी को चुनावी समर में उतारने के लिए जोरशोर से रणनीति तैयार कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा के इस फैसले ने जहां उनके पदाधिकारियों को सोचने पर विवश कर दिया है। विरोधी पार्टी के लोग भी भाजपा की इस गणित को नहीं समझ पा रहे हैं। भाजपा के इस फैसले को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। हालांकि इस फैसले के बावजूद दर्जनों ऐसे नेता व कार्यकर्ता हैं जो चुनाव की तैयारी में दिनरात एक किए हुए हैं। फिलहाल जिले में जिलाध्यक्ष, महामंत्री या फिर इससे ऊपर के पदाधिकारी इस चुनावी दंगल में दांव-पेच आजमाते दिख नहीं रहे हैं।
जिलाध्यक्ष, जिला महामंत्री या इससे ऊपर के पदाधिकारी पंचायत चुनाव लड़ेंगे तो उन्हें पद से इस्तीफा देना होगा। यह उन्हें बता दिया गया है। वहीं कोई नेता चुनाव जीतता है तब उसे अपने पद को छोड़ना होगा। जिम्मेदार पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने से चुनावी संचालन में कोई दिक्कत न हो इसके लिए ऐसा किया गया है।