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दिलदारनगर: गुरु गोविंद सिंह के 354वें प्रकाशोत्सव पर शबद-कीर्तन से साध संगत निहाल


सिख समुदाय के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह के 354वें प्रकाशोत्सव गाजीपुर में बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। गाजीपुर समेत दिलदारनगर, मुहम्मदाबाद, सैदपुर में अलग-अलग आयोजन हुए। सुबह सजे विशेष दीवान में रागीजन ने गुस्र्वाणी और कीर्तन किया,सबद-कीर्तन से साध संगत निहाल हुई। गुरुद्वारा में आने वाले भक्तों के लिए लंगर की विशेष व्यवस्था की गई है। सुबह से रात तक लंगर चल रहा है। इस बार कोरोना महामारी के चलते ज्यादा भीड़ एकत्रित नहीं होने दी जा रही है। सेवा में लगे सेवादार श्रद्धालुओं को बारी-बारी से लंगर छकने के लिए भेज रहे हैं।


गाजीपुर के महाजन टोली गुरुद्वारा पर सिख धर्म के 10वें गुरु गोविंद सिंह के 354वें प्रकाश पर्व पर आस्थावानों का जुटान हुआ। सुबह कीर्तन का आनंद लेने के बाद शाम सात बजे से पुन: सजाए गए दीवान के समक्ष कीर्तन गंगा बही, यह सिलसिला देर रात तक चलेगा। दीवान में सजावट के बीच गुरुद्वारा में गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेकने के लिए श्रद्धालुओं की कतार लग रही। गुरुद्वारा को फूल माला व झालर बत्ती से आकर्षक ढंग से सजाया गया। अखंड पाठ की समाप्ति हुई, भजन कीर्तन किया। रात्रि में आतिशबाजी भी की गई और सिख समुदाय ने एक दूसरे को बधाई देकर खुशी मनाई। रागीजनों ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म सन 1666 में पटना साहिब में हुआ था। गुरु साहब ने पथ भ्रष्ट जनता को सही मार्ग दिखाने के लिए, धर्म, जाति, देश भाषा के कारण उत्पन्न विभिन्नता समाप्त कर एकता स्थापित करने की बात कही। नौ वर्ष की अवस्था में ही हिंदू धर्म की रक्षा के लिए पिता गुरुतेग बहादुर जी को शहीदी देने के लिए दिल्ली भेजा। समय की चुनौती को स्वीकार किया, पंगत और संगत की रीति को चलाकर जन साधारण को एकता में पिरो दिया। गुरुजी ने न केवल अपने प्राण न्यौछावर किए बल्कि अपने चारों पुत्रों को भी धर्म पर कुर्बान कर दिया और यह कहा चार मूये तो क्या भया जीवत कई हजार।

वाहो-वाहो गोविद सिह, आपे गुरु चेला के स्वर जैसे ही विशेष पंडाल में गूंजे तो जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल की आवाजें हर ओर से आने लगीं। दिलदारनगर में ऐसा मौका था गुरु गोविद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर समारोह का। प्रकाशोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार को जहां शबद कीर्तन से संगत निहाल हुई, वहीं दिन भर लंगर सेवा भी होती रही। रागीजनों ने गायन कर संगत को निहाल किया।

गुरु गोविंद जी का 354 वा जयंती के अवसर पर गुरु द्वारा गुरु सिंह सभा में रागीजनों संग स्थानीय लोगों ने ढोल मँजीरा के साथ शब्द कीर्तन में भाग लिया। गुरु पर्व के रूप में गुरुद्वारा में भव्य सजावट के बीच कार्यक्रम और लंगर हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष सरदार परलोक सिंह, गुरु ग्रन्थि महताब सिंह सरदार यशवंत सिंह, सरदार बलबीर सिंह, सरदार परमजीत सिंह, सरदार मनजीत सिंह, सरदार प्रीतपाल सिंह, सरदार धर्मवीर सिंह, सरदार हरजीत, सरदार गुरुदीप सिंह आदि शामिल रहे।

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