वाराणसी में विश्वनाथ कॉरिडोर के मलबा-मिट्टी से ललिता से मणिकर्णिका घाटों के बीच गंगा का प्रवाह बदल गया है। गंगा इन घाटों से दूर हो गई हैं। साथ ही, दशाश्वमेध से मणिकर्णिका के बीच घाटों का आपसी संपर्क भी टूट गया है। इसका सीधा असर मणिकर्णिका घाट स्थित महाश्मशान पर दिख रहा है। यहां अंतिम संस्कार के पूर्व शवों का गंगाजल से प्रक्षालन नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति गंगा किनारे कॉरिडोर की सीढ़ी के लिए तैयार की जा रही कंक्रीट की दीवार के चलते पैदा हुई है।
करीब 50 हजार वर्ग मीटर में निर्माणाधीन विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए गंगा किनारे ललिता घाट से मणिकार्णिका घाट के बीच सीढ़ी बननी है। साथ ही जलासेन घाट के पास कॉरिडोर के खुला मंच का भी निर्माण प्रस्तावित है। कार्यदायी एजेंसी ने गंगा किनारे पानी को रोकने के लिए करीब 800 मीटर लंबाई और 200 मीटर चौड़ाई में मिट्टी पाट दिया है। इसके बाद गंगा में करीब पांच मीटर गहराई तक आरसीसी दीवार खड़ी की जा रही है। इसके जरिए सीढ़ी का निर्माण होगा। गंगा जल का प्रवाह पहले ललिता घाट से जलासेन, मणिकर्णिका को छूते हुए आगे बढ़ता रहा। अब ललिता घाट से सीर्धे ंसधिया घाट की तरफ बह रहा है।
शवदाह करने वालों को परेशानी :
दशाश्वमेध घाट से किनारे की सीढ़ियों के जरिए काफी लोग मणिकर्णिका घाट पर पैदल आना-जाना होता है। अब लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं मणिकर्णिका घाट पर शवदाह घाट से दूर हो रहा है। इससे शवदाह करने आए लोगों को दिक्कत हो रही है। पैदल चलने पर भी पाबंदी: घाट किनारे जमा मिट्टियों के ऊपर से पैदल जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। पूरे इलाके को बैरिकेड कर दिया गया है। वहां तैनात सुरक्षाकर्मी लोगों को पैदल आने जाने से रोकते हैं। इससे पैदल ही घाटों पर घूमने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को लौटना पड़ रहा है। संजय गोरे, अधिशासी अभियंता- पीडब्ल्यूडी (काशी विश्वनाथ खंड) कहते हैं कि घाट किनारे काम होने के कारण मलबा और मिट्टी जमा की गई है। काम होते ही उसे हटा दिया जाएगा। सुरक्षा कारणों से लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगाई गई है।