इस बार मकर संक्रांति पर नगर के प्रसिद्ध ददरीघाट से करीब एक किलोमीटर की दूरी तय कर श्रद्धालुओं को स्नान करना होगा। क्योंकि गंगा का पानी घाट से काफी दूर हो चुका है। ऐसी स्थिति करीब दस वर्ष पहले भी हुई थी। गंगा किनारे केवल शहर से निकलने वाले नाले का पानी जमा है, जिसकी दुर्गंध के बीच से होकर श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के लिए जाना होगा।
स्नान करने में बृद्धजनों को काफी कठिनाई उठानी पड़ेगी। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए इस घाट पर शहर के अलावा बड़ी संख्या में देहात क्षेत्र से भी श्रद्धालु आते हैं। घाट के पास वाहनों की कतार तक लग जाती है। इसमें बच्चों से लेकर युवा-युवतियां, बड़े-बुजुर्ग महिला-पुरुष आते हैं। घाट पर पानी होने पर स्नान करने में आसानी होती है। लेकिन इस बार इन श्रद्धालुओं को रेत पर करीब एक किलोमीटर तक पैदल सफर तय करने के बाद स्नान के लिए पानी नसीब होगा। घाट से पानी के दूर हो जाने से श्रद्धालुओं में मायूसी भी है। मकर संक्रांति के स्नान को लेकर उस तरफ सुरक्षा के लिहाज से कोई भी व्यवस्था नहीं है। वहां पानी की गहराई तक का अंदाजा लोगों को नहीं है, इसलिए खतरा भी ज्यादा बना रहेगा।
इसे देखते हुए गोताखखोरों को भी तैनात किया जाना आवश्यक है, ताकि किसी के डूबने की स्थिति में उसे बचाया जा सके। स्नान करने वाले स्थान पर मानक दूरी तय कर वहां बैरिकेड भी कराया जाना जरूरी है। शहर के प्रमुख घाटों में कलक्टरघाट, ददरीघाट, कंकड़वाघाट, चीतनाथ घाट, पोस्ताघाट, खिड़कीघाट, सिकंदरपुर घाट, बड़ा महादेवा घाट आदि हैं। कलक्टर घाट पर भी पानी नहीं है। इस बार इन सभी घाटों से गंगा का पानी लगभग दूर हो गया है। बड़ा महादेवा घाट पर तो काफी दिनों पहले से ही पानी दूर है। यहां भी करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर गंगा नहाने के लिए लोग जाते हैं।