स्वच्छ भारत मिशन गंदगी के बोझ तले दबकर रह गया है। यहां बाजार से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक हर जगह गंदगी का ही बोलबाला है। कहीं शौचालय टूटे हुए हैं, तो कहीं मानव मल सड़कों पर पसरा हुआ है। सफाई कर्मियों की भारी-भरकम फौज मौज कर रही है, जबकि गांवों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। आलम यह कि तमाम सरकारी प्रतिष्ठान भी गंदगी की गिरफ्त में जकड़े हुए हैं।
यहां यह गंदगी कब महामारी का रूप धारण कर ले, कुछ कहा नहीं जा सकता है। जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। गंदगी के चलते मच्छरों का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। गांवों की नालियों के अलावा मुख्य सड़क पर भी कीचड़ पसरा रहता है। स्वच्छता की दुहाई देने वाले लोग गांवों में दवा छिड़काव के प्रति कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण वर्तमान मौसम में डेंगू व टाइफाइड जैसी घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। भदौरा विकास खंड की ग्राम पंचायतों में किसी भी गांव में अभी तक मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया। इसके अलावा गांव में सफाई की स्थिति इतनी खराब है कि गंदगी से जाम नालियां सफाईकर्मियों के मौज की पोल खोल रही है। गहमर निवासी रवि कुमार सिंह व देव उपाध्याय का कहना है कि गांव के पानी निकासी के अभाव में पूरा पानी मुख्य सड़क पर पसरा रहता है। सड़क के बीच बने गड्ढों में हमेशा पानी भरे रहने से जहां आवागमन में समस्या हो रही हैं, वहीं मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। ग्रामीण दहशत के साए में जीने को मजबूर है।