कड़ाके की सर्दी पड़ने से तिलहन व आलू की खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर मायूसी छाने लगी है। अगर सर्दी इसी तरह जारी रही तो सरसों सहित सभी फूल वाली फसल में नुकसान की आशंका जताई जा रही है। उधर, आलू की फसल में झुलसा रोग लगने लगा है। घना कोहरा व भीषण ठंड से तिलहनी फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। कोहरे के दौरान अगर पाला पड़ा तो फसलें चौपट हो जाएंगी, जिससे किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिच गई हैं। वहीं सरसों व मसूर की फसल को आंशिक नुकसान होने लगा है।
हालाकि इस ठंड से सिर्फ गेहूं की फसल को लाभ हो रहा है। तिलहनी व दलहनी फसलों को पाले से बचाने की जरूरत है। किसानों का कहना है कि कड़ाके की ठंड व कोहरे के कारण चना, मसूर व टमाटर में रोग लग सकता है। कोहरे से तिलहन के साथ दलहन फसल को भी नुकसान हो रहा है। अक्टूबर माह में बोई गई फसलों में फूल आ गए हैं। हवा व कोहरे से इसमें नुकसान हो सकता है। उधर मौसम के लगातार उतार चढ़ाव से हर दिन किसानों को चिंता हो रही है। वैसे ही कोरोना के कारण हर वर्ग का काफी नुकसान हुआ उसमें से अगर फसल पर असर हुआ तो किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे। ऐसे में उनकी मेहनत से उगाई गई फसल को बर्बाद होने से बचाव के लिए हर प्रयास कर रहे हैं। कोहरे से फसलों का विकास प्रभावित होता है। इससे फसलों को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर किसान दवाओं का प्रयोग करें।