उत्पादन ही नहीं उत्तर प्रदेश अब आलू की उत्पादकता में भी देश में नम्बर वन बनने की तैयारी में है। इसके लिए बड़े पैमाने पर अबकि आलू की खेती भी कराई है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार उत्पादकता के मामले में यूपी देश में छठे स्थान से तीसरे या दूसरे स्थान पर जरूर पहुंच जाएगा। अधिकारियों की माने तो नई तकनीक से अगले साल प्रदेश आलू की उत्पादकता में भी पहले स्थान पर पहुंच जाएगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आलू की उत्पादकता 24.22 टन प्रति हेक्टेयर है और तैयारी इस बात की है कि इस बार कम से कम यह 26.50 से 27.50 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंच जाए। इसके बाद अगले वर्ष इस आंकड़े को 30.00 टन प्रति हेक्टेयर पर पहुंचाने की रहेगी।
जानकारों का कहना है कि उत्पादकता के लक्ष्य को पाने के लिए उद्यान विभाग ने आलू के प्रमुख उत्पादक जिलों में किसानों से सामन्जस्य बनाकर तय समय सीमा 31 अक्तूबर तक इसकी बुआई पूरी करवाई। प्रति एकड़ 28000 बीजों की बुआई कराई गई। हर बीज का भार 50 ग्राम रखा गया। लाइनसे लाइन की दूरी 28 इंच रखकर तीन लाइनों में बुआई कराई गई। बीजों को 09 इंच गहराई में रोपा गया है।
साथ ही पौधों से पौधों की दूरी 08 इंच रहे इसकी तैयारी की गई है। इसके अलावा एक एकड़ में एक कुंतल की दर से एनपीके (12:32:16) इस्तेमाल किया गया है तथा प्रति एकड़ 50 किलो यूरिया का प्रयोग तय किया गया है। आलू विशेषज्ञों का कहना है कि आलू की बेहतर उत्पादकता के लिए यह सबसे बेहतर वैज्ञानिक प्रयोग है।