चूंकि 73वें संविधान संशोधन में यह प्रावधान किया गया है कि जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुने हुए सदस्यों के द्वारा चुने जाएंगे इसलिए अब केंद्र सरकार को इस 73वें संविधान संशोधन में दूसरा संशोधन करना होगा। कोरोना संकट की वजह से राज्य में अभी चुनाव टाले जाने का प्रस्ताव विचाराधीन है इसलिए अभी समय है, केन्द्र सरकार अगर संविधान संशोधन का प्रस्ताव संसद से पारित करवा लेती है तो फिर जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव भी सीधे जनता से करवाए जा सकते हैं।
जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुने हुए सदस्यों के द्वारा ही चुने जाते हैं, ऐसे में सदस्यों की खरीद-फरोख्त से यह चुनाव होते हैं जिसमें धनबल, बाहुबल का खूब इस्तेमाल होता है। समय-समय पर सदस्यों की गुटबाजी व सियासी चालों की वजह से जिपं व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाते हैं या दबाव बनाकर उन्हें त्यागपत्र देने के लिए विवश किया जाता है।
राज्य निर्वाचन आयोग से मिले आंकड़ों के अनुसार 2017 में जिपं अध्यक्ष के 5 अविश्वास व 6 त्यागपत्र और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के 10 त्यागपत्र और अविश्वास प्रस्ताव 17 आए। 2018 में जिपं अध्यक्ष के त्यागपत्र के 2, अविश्वास प्रस्ताव 7, क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के 3 त्यागपत्र, 71 अविश्वास प्रस्ताव, 2019 में जिपं अध्यक्ष के त्यागपत्र के एक, अविश्वास प्रस्ताव तीन, क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के छह त्यागपत्र और 13 अविश्वास प्रस्ताव आए। इसके बाद आयोग को इन पदों पर उपचुनाव करवाने पड़े।