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UP पंचायत चुनाव में दो बच्चों की पॉलिसी पर फंस सकता है पेच, जानिए विशेषज्ञों की राय


यूपी में जहां पंचायत चुनाव का समय बढ़ने की बात चल रही है वहीं टू-चाइल्ड पॉलिसी पर भी बहस छिड़ गई। विशेषज्ञों की मानें तो ये आसान नहीं होगा। इसमें बड़े पेंच हैं। कैबिनेट प्रस्ताव लाना होगा। फिर संसद से प्रस्ताव पास करना होगा। पंचायतीराज एक्ट में संशोधन कराना होगा। यह एक लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में इस बार पंचायत चुनाव में समय कम बचा है इसलिए ये सब हो पाना थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है।

दरअसल पंचायत में टू-चाइल्ड पॉलिसी की बहस ने 11 जुलाई के बाद तूल पकड़ा। 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखी। संजय बालियान ने मांग की थी कि यूपी के आगामी पंचायत चुनाव में उन्हीं को चुनाव लड़ने का अधिकार मिलना चाहिए, जिनको दो से ज्यादा बच्चे नहीं है। उन्होंने अपने पत्र उत्तराखंड राज्य में बने कानून का हवाला दिया। बलियान ने कहा है कि प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है और इस बारे में एक समग्र नीति बनाने की जरूरत है।  

उत्तराखंड 
उत्तराखंड में जुलाई 2019 में राज्य सरकार ने उत्तराखंड पंचायती राज्य काननू 2016 में संशोधन कर ये नियम बनाया कि जिनको दो से ज्यादा बच्चे हैं वे पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जाएंगे। इसके लिए ग्राम प्रधान संगठन और कांग्रेस से जुड़़े जोत सिंह बिष्ट, पिंकी देवी, मनोहर लाल आर्य, गौसिया रहमान, मोहन प्रसाद काला, कविंद्र ईष्टवाल, राधा कैलाश भट्ट आदि ने पंचायती राज एक्ट में संशोधित अधिनियम के सेक्शन 8(1) आर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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