कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए रेलवे का वर्क फॉर होम का फार्मूला बेअसर साबित होने लगा है। वर्क फॉर होम के नाम पर अफसर मुख्यालय छोड़कर घूम रहे हैं। इससे संक्रमण भी बढ़ रहा है। बकरीद से लेकर रक्षाबंधन पर्व तक लंबी छुट्टी मिल गई थी। इसका अफसरों ने खूब फायदा भी उठाया। जबकि डीआरएम ने साफ निर्देश दिया था कि बाहर जाने वाले अधिकारी व कर्मचारी घर में ही रहकर कार्य करेंगे। कुछ अफसरों की लापरवाही के कारण अब घर में रहकर कार्य करनेवाले अफसर भी कोरोना की चपेट में आने लगे हैं। कुछ उच्चाधिकारियों के परिजन भी इस जानलेवा बीमारी की जद में आ गए हैं।
अफसरों के स्वास्थ्य को लेकर चितित रहने वाली रेलवे की चिता और बढ़ने लगी है। पटरी पर चल रही पूरी व्यवस्था बेपटरी हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कहर बरपाने के बाद वैश्विक महामारी ने शहरी इलाकों में पांव पसारना शुरू किया। शहरी क्षेत्र में कोरोना ने दस्तक दी तो हरकोई बचाव में जुट गया। रेल कर्मचारियों व अधिकारियों के स्वास्थ्य को लेकर रेलवे चितित होने लगी। इसके बाद तत्काल वर्क फॉर होम की व्यवस्था कर दी गई। कार्यालयों में कुछ कर्मचारी ही कार्य करने के लिए आते थे।
कार्य के दौरान शारीरिक दूरी का पालन भी कराया जा रहा है। उधर मंडल रेलप्रबंधक ने वर्क फॉर होम की सुविधा शुरू कर दी। इसके बाद अधिकारी आवास पर ही रहकर कार्य कर रहे थे। सोचनीय यह है कि पूरी व्यवस्था की कमान संभालने वाले मंडल रेल प्रबंधक पंकज सक्सेना का परिचालक भी इस बीमारी से नहीं बच सका। परिचालक के पॉजिटिव आने पर डीआरएम आफिस के परिक्षेत्र को सील करना पड़ा था। अगर अभी भी रेलवे सचेत नहीं हुआ तो व्यवस्था और अधिक लचर हो सकती है।