पटना जिले में एक सप्ताह में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शुरुआती 100 दिनों में जितने संक्रमित जिले में मिले थे, लगभग उतने ही संक्रमित पिछले सात दिनों में मिले हैं। 22 मार्च को जिले में पहला संक्रमित मिला था। इसके 100 दिनों में यानी 30 जून तक यह संख्या 718 पर थी, जबकि सात जुलाई तक यह संख्या 1402 पर पहुंच गई। इनमें एक्टिव केसों की संख्या 760 है, जबकि 12 लोगों की मौत हो चुकी है। 630 लोग स्वस्थ भी हुए हैं।
22 मार्च को मिला था पहला केस
22 मार्च को एक साथ दो संक्रमित पटना में मिले थे। इसमें एक दीघा की महिला थी, जबकि दूसरा फुलवारीशरीफ के बभनपुरा का युवक था। महिला नेपाल, जबकि युवक स्कॉटलैंड से लौटा था। मार्च के अंत तक संक्रमितों की संख्या छह थी। 15 अप्रैल तक इसमें एक और जुड़कर संख्या सात तक पहुंची थी। मगर 22 अप्रैल को एक साथ आठ संक्रमित मिले, जिनमें सात अकेले खाजपुरा के थे। अप्रैल के अंत तक यह संख्या 44 पहुंच गई।
10 मई को जिले में हुई पहली मौत
पटना में कोरोना से पहले मरीज की मृत्यु 10 मई को हुई। बेलछी के प्रवासी मजदूर की पीएमसीएच में मौत हो गई थी। 15 मई को जिले में संक्रमितों की संख्या 100 तक तब पहुंची, जब दिल्ली से लौटी दीघा की युवती पटना पहुंची थी। एक साथ 50 से ज्यादा यानी 58 संक्रमित 17 मई को मिले, जब बीएमपी के 21 जवान तथा अथमलगोला व बाढ़ के 30 प्रवासी एक साथ संक्रमित मिले थे। 30 मई तक यह आंकड़ा 232, जबकि 31 मई को 241 पर पहुंच गया। प्रवासियों के आने के बाद जून से संक्रमण की गति में कुछ तेजी आई। 11 जून को यह संख्या 300 पर पहुंच गई। अगले 10 दिनों में यह संख्या 400 के पार हो गई। 22 जून से 30 जून के बीच नौ दिनों में 318 संक्रमित मिले। 30 जून तक यह संख्या बढ़कर 718 हो गई। इसमें पालीगंज और पटना सिटी के संक्रमितों की संख्या लगभग 300 रही।