साहब, जौन घोड़ा गाड़ी पर ईंट ढोके आपन व परिवार के लोगन क पेट भरत रहली, लॉकडाउन में आज वहीं घोड़ा गाड़ी मुश्किल समय में घर क दूरी तय करे क सहारा बन गईल। ठीकेदार द्वारा जबाब देहले पर पेट भरह वाला घोड़ा ही आज हम लोगन क सहारा बन घर पहुंचावत बा। कोरोनवा पेटे पर जरूर लात मार देहलस पर हम लोगन क हिम्मत ना तोड़ पइले हव। हाइवे पर राने चट्टी के पास सोमवार की सुबह घर जा रहे तीन श्रमिकों ने कुछ इस कदर अपनी दर्द बयां किया।
काम बंद होने पर गांव के मांटी की याद आई
कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन में बिहार-छपरा के मकेर में स्थित ईंट भट्ठे पर घोड़ा गाड़ी से कच्चे ईंट की ढुलाई करने वाले दिनेश यादव, दयाराम यादव व राजेश सरोज नामक श्रमिक भट्ठे पर काम बंद होने से असहाय हो गए। ठीकेदार व मालिक ने कह दिया कि घर जाओ। जब साधन की मांग किए तो लॉकडाउन का हवाला देकर जबाब दे दिया कि कोई साधन नहीं है। काम बंद होने पर मजबूरन गांव के मांटी की याद आई। साधन न मिलने पर मरता क्या न करता, आखिरकार घोड़ा गाड़ी पर ही सामान रख टिक-टिक करते प्रतापगढ़ के महराजपुर के लिए निकल पड़े।