लॉकडाउन की वजह से विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिक-कामगारों के प्रति चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पंद्रह दिन में गृह जिलों में पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही रोजगार के प्रबंध के लिए भी कहा है। इन निर्देशों को लेकर फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह तनाव मुक्त है। योगी सरकार का दावा है कि न्यायालय की जो मंशा है, उस पर पहले ही यूपी में काम शुरू हो गया और अब प्रवासी श्रमिक-कामगारों के आने की रफ्तार भी लगभग थम चुकी है।
कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन हुआ तो श्रमिक-कामगार जहां के तहां फंस गए। तमाम लोग पैदल घरों को निकल पड़े, हादसे हुए। वहीं, केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं तो भी कई राज्यों के साथ तालमेल गड़बड़ाया और गरीबों को परेशानी झेलनी पड़ी। पिछले दिनों श्रमिक-कामगारों का मुद्दा काफी छाया रहा। यूपी में तो इस पर राजनीति भी खूब गर्मायी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को निर्देश दिए कि सभी श्रमिक-कामगारों को सूचीबद्ध कर पंद्रह दिन के अंदर उनके घर पहुंचाएं। वहीं, राज्य सरकारें इन्हें रोजगार देने की योजना भी बताएं।
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी का कहना है कि प्रदेश सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए प्रवासी श्रमिक-कामगारों को वापस लाने का फैसला सबसे पहले करते हुए हजारों बसें लगाईं, ट्रेनों की व्यवस्था की। इस तरह लगातार व्यवस्था की निगरानी करते हुए विभिन्न राज्यों से अब तक करीब 32 लाख श्रमिक-कामगार वापस लाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि अब भी एक-दो ट्रेनें आ रही हैं लेकिन, श्रमिक-कामगार न के बराबर आ रहे हैं। अब यदि धीरे-धीरे कर बहुत लोग आएंगे तो भी उनकी संख्या दस-पंद्रह हजार से अधिक न हो सकेगी।