पाकिस्तान के रास्ते देश और फिर प्रदेश मेें कृषि रक्षा विशेषज्ञों और किसानों की नींद हराम करने वाली टिड्डियों को रोकने के लिए सेना का सहारा लिया जाएगा। केंद्रीय कीटनाशी प्रबंध संस्थान ने केंद्रीय कृषि रक्षा इकाई के माध्यम से प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है। जुलाई माह में टिडिड्यों की तादाद बढऩे और काबू पाने में मौजूदा संसाधनों में दिक्कत होने की बात कही गई है। हालांकि प्रस्ताव में फायर ब्रिगेड के बड़े वाहनों और ट्रैक्टर की अतिरिक्त व्यवस्था करने की मांग भी की गई है।
21 मई को टिड्डी दल के हमले होने के चलते पूरे देश व प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया था। राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमाओं पर चौकसी के बावजूद टिड्डियों ने सूबे के सोनभद्र, चित्रकूट, प्रयागराज, बांदा, महोबा व झांसी के कई क्षेत्रों में हमला बोलकर सतर्कता की पोल खोल दी थी। केंद्रीय कृषि रक्षा विभाग की ओर से कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन की व्यवस्था की गई। बावजूद इसके इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में अब विशेषज्ञों की ओर से सेना की मांग की गई है। केंद्रीय कृषि रक्षा विभाग के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है जिस पर मंथन चल रहा है।
केंद्रीय कीटनाशी प्रबंध संस्थान, लखनऊ के प्रभारी डॉ.प्रदीप ने बताया कि हवा के रुख के साथ अपनी जगह बदलने में माहिर टिड्डी दल की संख्या 10 लाख के पार है। सीमित संसाधनों और ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है। उन पर काबू भी पाया जा रहा है, इसके बावजूद उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में केंंद्रीय कीटनाशी प्रबंध संस्थान की ओर से सेना की मदद लेने का प्रस्ताव भेजा गया है। वायु सेना के हेलीकॉप्टर से कीटनाशक का छिड़काव करने से टिड्डी दल पर 100 फीसद काबू पाने की संभावना व्यक्त की गई है।